स्वस्थ रहने के नियम

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– केवल सेंधा नमक प्रयोग करें। थायराइड, बी पी और पेट ठीक होगा।
–   केवल स्टील का प्रेशर कुकर ही प्रयोग करें। अल्युमीनियम में मिले हुए लेड से होने वाले नुकसानों से बचेंगे।
–   कोई भी रिफाइंड तेल न खा कर केवल तिल, मूंगफली, सरसों और नारियल का प्रयोग करें। रिफाइंड तेल में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं ।
–   सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर मसल कर जहरीली झाग निकाल कर ही प्रयोग करें।
–   रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है। इसका प्रयोग कर प्रदूषित हवा बाहर करें।
–   काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में भी अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।
–   देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ेगा।
–   ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम (कढ़ी पत्ता) खाने की चीजों में डालें। सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।
–   ज्यादा से ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।
–   भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा। भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।
–   नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन और फाइबर मिलेंगे।
–   सुबह के खाने के साथ देसी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।
–   चीनी कम से कम प्रयोग करें। ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।
–   चीनी की जगह बिना मसाले का गुड़ या देसी शक्कर लें।
–   छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें। फायदे इतने हैं कि लिख ही नहीं सकते।
–   चाय के समय आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं। निरोग रहेंगे।
–   एक डस्टबिन रसोई में और एक बाहर रखें। सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्टबिन में डालें।
–   रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों का तेल लगाएं। सिर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगे।
–   करेला, मेथी और मूली यानी कड़वी सब्जियां भी खाएं। रक्त शुद्ध रहेगा।
–   मटके के पानी जितना ठंडा ही पिएं। पाचन व दांत ठीक रहेंगे।
–   प्लास्टिक और अल्युमीनियम रसोई से हटाएं। दोनों कैंसरकारक हैं।
–   माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग कैंसरकारक है।
–   खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।
–   बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, यथासंभव सब घर पर ही बनाएं।
–   तली चीजें छोड़ें। वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।
–   मैदा, बेसन, छोले, राजमां और उड़द कम खाएं। गैस की समस्या से बचेंगे।
–   अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं। गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।
–   बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।
–   रसोई में ही बहुत से कास्मेटिक्स हैं। जानकारी लें।
–   रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें। सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं। चश्मा उतर जाएगा। छानने के बाद जो पाउडर बचे, उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा। कोई रोग नहीं रहेगा।
–   सुबह रसोई में चप्पल न पहन कर जाएं। शुद्धता भी, एक्यूप्रेशर भी।
–   रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं। एसिडिटी खत्म।
–   चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।
–   रसोई के मसालों से बना चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।
–   सर्दियों में नाखून के बराबर जावित्राी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।
–   सर्दी में बाहर जाते समय 2 चुटकी अजवायन मुंह में रखकर निकलिए। सर्दी से नुकसान नहीं होगा।
–   रस निकले नींबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रख कर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा।
–   कभी – कभी नमक – हल्दी में 2 बूंदें सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें। दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।
–   बुखार में 1 लिटर पानी उबाल कर ठंडा उस कर लें। साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।

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