कई बीमारियों का संकेत है उम्र से पहले गंजापन

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फिनलैण्ड के विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार अगर व्यक्ति के 30 वर्ष की आयु से पहले ही सिर के बाल गिरने प्रारंभ हो जाते हैं तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति को हाइपरटेंशन, कोरोनरी हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह व गठिया होने की संभावना अधिक है।
बालों के गिरने या गंजेपन को तो आप रोक नहीं सकते पर खान-पान की सही आदतें जैसे व्यायाम, सही जीवन शैली, वजन पर नियंत्राण आदि अपना कर आप इन बीमारियों की संभावना को तो कम कर ही सकते हैं। इसलिए अगर आप भी 30 वर्ष की आयु से पहले गंजेपन का शिकार हो रहे हैं तो इन बीमारियों से बचने के लिए पहले से ही सुरक्षा उपायों को अपना लें।
मोटे व्यक्तियों को मोतियाबिंद होने की  संभावना अधिक
एक शोध के अनुसार मोटे व्यक्तियों को सफेद मोतियाबिंद होने की संभावना अधिक होती है। विशेषज्ञों के अनुसार मोटे व्यक्तियों को साधारण व्यक्तियों की तुलना में गठिया होने की संभावना अधिक होती है। गठिया का कारण होता है यूरिक एसिड का रक्त में अधिक स्तर और यूरिक एसिड मोतियाबिंद के होने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मधुमेह के रोगियों को भी मोतियाबिंद होने की संभावना अधिक होती है इसलिए आंखों की सुरक्षा के लिए वजन पर नियंत्राण रखना बहुत जरूरी है।
ओमेगा थ्री फैटी एसिड हृदय के लिए अच्छा
विशेषज्ञों के अनुसार ओमेगा 3 फैटी एसिड हमारे हृदय के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, इसलिए मछली का सेवन करना चाहिए। शायद मछली के गुणों के कारण ही उसे ‘वेजिटेबल ऑफ द सी‘ कहा गया है। नवीनतम शोधों के अनुसार सप्ताह में दो बार मछली का सेवन हृदयाघात की संभावना कम करता है।
यही नहीं, ओमेगा 3 हमारी प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है व आघात की संभावना को भी कम करता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड मैकरील, टयूना, सॉलमन व सार्डीन मछलियों में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त सरसों का तेल, अखरोट, सोया, बीज व्हीट जर्म आदि भी ओमेगा थ्री फैटी एसिड के अच्छे स्रोत हैं।
मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है व्यायाम
हाल ही में सॉन फ्रांसिस्को में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डॉ क्रिस्टेन येफे और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि व्यायाम स्वास्थ्य व उम्र पर तो अच्छा प्रभाव डालता ही है, साथ ही दिमाग को भी तेज करता है।
यह शोध 6000 महिलाओं पर किया गया। इस शोध में मस्तिष्क की कार्यशीलता को नापने के लिए मानसिक स्थिति की एक परीक्षा ली गयी। यह परीक्षा पुनः 6 साल की अवधि और फिर आठ वर्ष की अवधि के बाद ली गई। विशेषज्ञों ने इन महिलाओं से इनकी दैनिक गतिविधियों को जाना कि वे महिलाएं कितना समय व्यायाम को देती हैं, कितना शारीरिक श्रम करती हैं कितनी बार सीढ़ियां चढ़ती उतरती हैं, सैर के लिए जाती हैं, आदि व्यायाम से संबधित बातों को जानने की कोशिश की।
वे इस परिणाम पर पहुंचे कि जो महिलाएं नियमित व्यायाम करती हैं उनकी दिमागी क्षमता में कमी नहीं पाई गयी। डा. येफे के अनुसार थोड़ा व्यायाम भी मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। इसलिए अगर आप भी अपना दिमाग तेज रखना चाहती हैं तो आज से ही व्यायाम को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लें।
सकारात्मक भावनाएं उम्र लंबी करती हैं
पर्सनेलिटी एंड सोशल साइकोलोजी के जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार अगर आप लम्बी आयु जीना चाहते हैं तो खुश रहना सीखिए। इस शोध के शोधकर्ता डेविड स्नोडन के अनुसार नकारात्मक भावनाएं जैसे गुस्सा, डर व निराशा शरीर पर बुरा प्रभाव डालती हैं। जिन लोगों में ये नकारात्मक भावनाएं होती हैं उन्हें हृदय रोग और पक्षाघात की संभावना अधिक होती है। यही नहीं, ये व्यक्ति बढ़ती उम्र में अल्जाइमर रोग का भी शिकार हो सकते हैं।
इसके विपरीत जो व्यक्ति सकारात्मक भावनाओं खुशी, प्यार, आशा आदि को अपनाते हैं, वे बीमारियों से तो दूर रहते ही हैं, अपनी उम्र को भी बढ़ाते हैं। विशेषज्ञ डेविड स्नोडन का मानना है कि व्यक्ति जितना आशावादी होगा, उतना ही वह अपने शरीर पर तनाव कम डालेगा। इसलिए सकारात्मक भावनाओं को जीवन का अभिन्न अंग बनाकर व्यक्ति अपनी उम्र लम्बी कर सकता है व रोगों से दूर रह सकता है।
काली चाय हृदय के स्वास्थ्य के  लिए अच्छी
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलोजी के विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार काली चाय न केवल थकावट दूर करती है बल्कि हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी है। चाय में फलेवेनॉइडस एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो हृदय के सेल्स और ऊतकों की आक्सीकरण से होने वाली हानि से सुरक्षा करते हैं।
एक अन्य शोध में यह पाया गया कि चाय का सेवन थक्के बनने की प्रक्रिया को भी संयमित रखता है और हृदय रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। थक्के अधिक बनने के कारण आघात की संभावना बढ़ जाती है। चाय थक्के बनने की गति को को कम करती है और रक्त में एंटीआक्सीडेंट घनत्व को बढ़ाती है इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि काली चाय भी हृदय के स्वास्थ्य के लिए अच्छी है।
हृदय की सुरक्षा आपके स्वयं के हाथों में
विशेषज्ञों के अनुसार हृदय की सुरक्षा व्यक्ति के स्वयं के हाथ में है। अगर व्यक्ति व्यायाम नहीं करता, रेशा रहित भोजन का अधिक सेवन करता है, वसा का अधिक सेवन करता है, धूम्रपान करता है और तनाव में रहता है तो वह स्वयं के हृदय रोगी बनने की संभावना को बढ़ाता है। हृदय रोगों का सबसे प्रमुख कारण है कोलेस्ट्रोल।
कोलेस्ट्रोल की कुछ मात्रा तो हमारे शरीर के लिए आवश्यक होती है पर इसका अधिक हो जाना हमारी रक्तवाहिनियों के स्वास्थ्य के लिए बुरा होता है, इसलिए अधिक वसायुक्त भोजन न लें। हाल ही में हुए एक नवीनतम शोध के अनुसार कोरोनरी हृदय रोगों के होने में 20 प्रतिशत भूमिका अदा करता है धूम्रपान। सिगरेट, तम्बाकू आदि के धुएं में युक्त गैस रक्तवाहिनियों को कड़ा करती है जिसके कारण हृदय को रक्त पहुंचने में बाधा आती है।
इसके अतिरिक्त मोटापा भी उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल के स्तर को बढ़ाता है इसलिए भोजन व जीवनशैली में परिवर्तन लाकर मोटापे पर नियंत्राण पाना आवश्यक है। हृदय रोग की संभावना को कम करने के लिए सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है व्यायाम। प्रतिदिन 15-20 मिनट का व्यायाम हृदय को सुरक्षा प्रदान करता है। अगर आप भी अपने हृदय की सुरक्षा चाहते हैं तो स्वस्थ जीवन शैली को अपनाएं।

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