भुवनेश्वर, 18 जनवरी (भाषा) सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन षणमुगरत्नम ने शनिवार को ओडिशा के पुरी जिले में ‘शिल्पग्राम’ के रूप में मशहूर रघुराजपुर और कोणार्क के सूर्य मंदिर का दौरा किया।
षणमुगरत्नम अपनी पत्नी के साथ रघुराजपुर गांव में एक घंटे से अधिक समय तक रहे और दो पट्टचित्र पेंटिंग खरीदीं, जिनमें से एक रामायण और दूसरी भगवान गणेश पर आधारित थी।
उन्होंने शिल्पकारों से बातचीत की, पेंटिंग देखीं और अनूठी पट्टचित्र कला बनाने की बारीकियां जानीं।
रघुराजपुर शिल्पकार समिति के सदस्य एवं शिल्पकार प्रशांत कुमार ने कहा, ‘‘सिंगापुर के राष्ट्रपति ने पट्टचित्र कला के इतिहास और उत्पत्ति के बारे में जाना और यह भी जाना कि हम इस तरह की कलाकृति कैसे बनाते हैं।’’
रघुराजपुर गांव के कलाकार आयुष महापात्रा ने पुरी जगन्नाथ मंदिर की पृष्ठभूमि में षणमुगरत्नम और उनकी पत्नी की एक पेंटिंग भेंट की।
महापात्रा ने कहा, ‘‘मुझे इस बात की खुशी है कि राष्ट्रपति ने मुझसे पेंटिंग ली।’’
ओडिशा के पुरी जिले में रघुराजपुर अपने पट्टचित्र, ताड़ के पत्तों पर नक्काशी और अन्य प्रकार के पारंपरिक शिल्प के लिए दुनियाभर में जाना जाता है।
गांव का हर घर ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की एक दीर्घा जैसा है।
बाद में, षणमुगरत्नम कोणार्क में 13वीं सदी के सूर्य मंदिर पहुंचे, जहां राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सिंगापुर के राष्ट्रपति की यात्रा के मद्देनजर, अन्य पर्यटकों को अपराह्न 12 बजे तक मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी गई। षणमुगरत्नम की यात्रा के लिए पूरे जिले में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।’’
कोणार्क की यात्रा के दौरान सिंगापुर के राष्ट्रपति को हर चीज समझाने वाले गाइड आभास मोहंती ने कहा, ‘‘हमने उन्हें दुनिया की विभिन्न सभ्यताओं में लोगों की जीवनशैली और मंदिर में पत्थर के काम में वर्णित मानवीय भावनाओं के बारे में बताया। हमने उन्हें कोणार्क मंदिर में पत्थर की मूर्तियों के आकार से भी अवगत कराया। वे वास्तव में बहुत खुश हुए।’’
कोणार्क मंदिर से लौटने के बाद, राष्ट्रपति भुवनेश्वर में भारत बायोटेक के टीका विनिर्माण संयंत्र का दौरा करने वाले हैं।
राष्ट्रपति ने शुक्रवार रात को ‘कलाभूमि’ में दीर्घाओं का दौरा किया और ओडिशा की कला, हस्तशिल्प और हथकरघा को देखा।
उन्होंने जगन्नाथ दीर्घा में भी समय बिताया और राज्य की आध्यात्मिक चेतना और परंपराओं की सराहना की।
इस अवसर पर ओडिशा के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मौजूद थे।
षणमुगरत्नम की पत्नी ने भी ‘कलाभूमि’ से एक साड़ी खरीदी और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से भुगतान किया। राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को ओडिशा का पारंपरिक भोजन परोसा गया।