असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के लिए अब अनिवार्य नहीं होगा नेट

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यूजीसी ने यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की सीधी भर्ती को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इससे अब योग, संगीत, परफोर्मिंग आर्ट, विजुअल आर्ट, मूर्तिकला और नाटक जैसे कुल 8 क्षेत्रों के दिग्गज सीधे प्रोफेसर बन सकते हैं।

असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए अब तक कम से कम 55% अंकों या समकक्ष ग्रेड के साथ पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री और नेट यानी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट- नेट) या स्लेट/ सेट जैसी समान परीक्षा पास करना अनिवार्य था। सामान्यतः यह अब भी यह जरूरी है लेकिन कुछ मामलों में इसकी अनिवार्यता नहीं होगी। एक बदलाव यह है कि अब कैंडिडेट्स को पीजी से इतर सब्‍जेक्‍ट से भी नेट परीक्षा देने की आजादी है। अब तक जरूरी था कि जिस विषय में आपने यूजी और पीजी की है, उसी विषय में नेट देकर असिस्टेनेट प्रोफ़ेसर बन सकते थे। यूजीसी प्रमुख एम. जगदीश कुमार के मुताबिक नए नियम मल्‍टी-सब्‍जेक्‍ट बैकग्राउंड से फैकल्‍टी चुनने में मदद करेंगे। इनका उद्देश्य उच्च शिक्षा में फ्रीडम और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाना है।

इन फील्ड में सीधे बन सकते हैं प्रोफेसर

यूजीसी की नई गाइडलाइन के अनुसार अब योग, संगीत, परफोर्मिंग आर्ट, विजुअल आर्ट, मूर्तिकला और नाटक जैसे कुल 8 क्षेत्रों के दिग्गज असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पद पर डायरेक्ट आवेदन कर सकते हैं। इन

कैंडिडेट्स के लिए यूजीसी नेट परीक्षा पास करने या पीएचडी जरूरी नहीं होगी। इनको ग्रेजुएशन के साथ अपने क्षेत्र में 05 साल का अनुभव जरूरी होगा। एसोसिएट प्रोफेसर के लिए उम्मीदवार के पास अपने फील्ड में 10 साल और प्रोफेसर के लिए 15 साल का अनुभव जरूरी होगा।

मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग (एमई) और मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) कैंडिडेट्स के लिए भी नेट क्वालिफाइ होना जरूरी नहीं है। 55 प्रतिशत अंकों के साथ मास्टर डिग्री वाले को सीधे सहायक प्रोफेसर के पद पर भर्ती होने की अनुमति मिल जाएगी।  

खेल को बढ़ावा देने के लिए भी किए बदलाव

खेल क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए यूजीसी ने शिक्षक भर्ती को लेकर नए नियम बनाए हैं, जिसके अंतर्गत अब पैराओलंपित समेत कई अन्य नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्लेयर्स और अवॉर्डी सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं। हालांकि उनके पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।

 पीएचडी के लिए पुराने नियम

जिन उम्मीदवारों ने 11 जुलाई 2009 से पहले पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया था, उनके लिए पुराने नियम लागू होंगे। यानी जिस संस्थान से उन्होंने डिग्री ली है, उसके उस समय के नियमों के अनुसार ही उन्हें छूट मिलेगी। ऐसे पीएचडी उम्मीदवारों को विश्वविद्यालय/ कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर, असिस्टेंट लाइब्रेरियन, असिस्टेंट डायरेक्टर ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स की नियुक्ति के लिए नेट / स्लेट / सेट की जरूरत नहीं होगी।

पदोन्नति के नए नियम

असिस्टेंट से एसोसिएट प्रोफेसर पद पर प्रमोशन के लिए कैंडिडेट्स के पास पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी। बिना इस डिग्री के अभ्यर्थी प्रमोशन नहीं प्राप्त कर सकेंगे।

नए दिशा-निर्देशों ने अकादमिक परफोर्मेंस इंडेक्स सिस्टम को भी समाप्त कर दिया है, जिसका उपयोग फैकल्टी मेंबर्स की पदोन्नति के लिए किया जाता था। चयन समितियां अब उम्मीदवारों का मूल्यांकन उनके व्यापक शैक्षणिक प्रभाव के आधार पर करेंगी, जिसमें शिक्षण में इनोवेशन, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, उद्यमिता, बुक राइटिंग, डिजिटल शिक्षण संसाधन, समुदाय और सामाजिक योगदान, भारतीय भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों का प्रचार, स्थिरता अभ्यास और इंटर्नशिप, परियोजनाओं या सफल स्टार्टअप का पर्यवेक्षण शामिल है।

कुलपति के लिए ये हैं नए नियम

इसके अलावा यूजीसी ने कुलपति बनने को लेकर भी नई योग्यताएं तय की हैं। पहले जिन लोगों के पास एकेडमिक फील्ड का अनुभव होता था वहीं लोग कुलपति बन सकते थे लेकिन नए नियमों के अनुसार 70 साल की उम्र तक इंडस्ट्री, लोक प्रशासन, पब्लिक पॉलिसी और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के अनुभवी लोग विश्वविद्यालय में कुलपति बन सकते हैं।

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