मेला प्रशासन बेपरवाह व किसी से सलाह नहीं लेना चाहता: सांसद उज्ज्वल रमण सिंह

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प्रयागराज, इलाहाबाद लोकसभा सीट से सांसद उज्ज्वल रमण सिंह बृहस्पतिवार को स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल पहुंचे जहां उन्होंने महाकुंभ में हुई भगदड़ के पीड़ितों और उनके तामीरदारों से मुलाकात की और स्थिति का मुआयना किया।

मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हुए सिंह ने मेला प्रशासन और पुलिस की आलोचना की और इस घटना को बड़ी चूक और लापरवाही बताया।

उन्होंने कहा, “मेला प्रशासन और पुलिस द्वारा जिस तरीके से दुर्व्यवस्था की गई थी, इसका हम लोगों को पहले से अंदाजा था और इसके लिए हम ने लखनऊ में पहले प्रेस वार्ता भी की थी जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय भी शामिल थे।”

कांग्रेस सांसद ने दावा किया, “हमने तभी कहा था कि मेला प्रशासन बेपरवाह है और वह किसी की सलाह नहीं लेना चाहते हैं। किसी से परामर्श नहीं लेना चाहते।”

सिंह ने दावा किया कि मेला समिति की आज तक एक भी बैठक नहीं हुई और अगर उन लोगों से राय ली गई होती जिनको कुंभ और अर्ध कुंभ मेले का अनुभव था, तो बेहतर व्यवस्था होती।

उन्होंने आरोप लगाया कि जितनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए, उसके लिए मेला प्रशासन की ओर से व्यवस्था नहीं की गई थी और व्यवस्था केवल अति विशिष्ट व्यक्तियों (वीआईपी) के लिए थी तथा मेले में श्रद्धालु और कल्पवासी, तीर्थ पुरोहित, नाविक और आम श्रद्धालु परेशान रहे।

सिंह ने कहा कि जब श्रद्धालुओं को 30-30 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ेगा तो वे मेला क्षेत्र में आने के बाद सोएंगे ही।

उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा गठित तीन सदस्य न्यायिक आयोग मामले में लीपापोती करने का एक प्रयास है। कुंभ मेला क्षेत्र में 30 पांटून पुल बनाए गए और 30 के 30 पुल बंद कर दिए गए। ये पुल किसके आदेश से बंद किए गए थे। जब मुझे चार घंटे तक रोके रखा गया तो आम श्रद्धालुओं के साथ क्या हुआ होगा।”

उन्होंने प्रमुख ढांचागत परियोजनाओं को पूरा करने में विफल रहने का सरकार पर आरोप लगाया जिनमें फाफामऊ पर छह लेन का पुल, इनर रिंग रोड आदि शामिल हैं।

सिंह ने बताया कि इस महाकुंभ पर 7,000 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन मूलभूत परियोजनाएं अपूर्ण हैं।

सांसद ने कहा, “हम लोगों ने इस पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है और इसका उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में या संयुक्त संसदीय समिति द्वारा लेखा परीक्षण होना चाहिए।”

उन्होंने नियोजन में विफलता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये और घायलों के लिए राशि 10 लाख रुपये करने की मांग की।

मौनी अमावस्या के मौके पर स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं के बीच मंगलवार देर रात मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई जबकि 60 लोग घायल हो गए।

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की।

सांसद सिंह ने तीन फरवरी तक विशिष्ट व्यक्तियों की मेला क्षेत्र में आवाजाही पर रोक लगाने की भी मांग की और कहा कि उन्होंने अधिकारियों से इस संबंध में पहले भी अनुरोध किया था।

 

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