कुंभ से जीडीपी १ फीसदी से ज्यादा बढ़ जायेगी – 4 लाख करोड़ से अधिक का व्यापार होगा कुंभ से

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अभी अभी सरकार की एक एजेंसी ने जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया और उसने अनुमान लगाया कि अबकी बार जीडीपी 6.4 फीसदी रहेगी. यह अनुमान रियल जीडीपी के आंकड़े हैं. अर्थव्यवस्था में दो तरह के जीडीपी के आंकड़े होते हैं, एक नॉमिनल जीडीपी और दूसरा रियल जीडीपी. नॉमिनल जीडीपी वह होता है जो जीडीपी के आंकड़े को वर्तमान मूल्य के आधार पर बताता है, वहीँ रियल जीडीपी वह होता है जो इस नॉमिनल जीडीपी में महंगाई के दौर को समायोजित कर मुद्रा के स्तर पर उस इन्फ्लेशन का समायोजन कर के बताता है.

अगर आप वर्तमान मूल्य के आधार पर जीडीपी साइज का ग्रोथ अनुमान देखेंगे तो यह 9.7 फीसदी है जो पिछले साल से ज्यादा है. वर्तमान मूल्य के आधार पर वर्ष 23-24 में जीडीपी 295.36 लाख करोड़ थी और वर्ष 2024-25 में 324.11 लाख करोड़ रुपये का अनुमान है. यह 28.75 लाख करोड़ का ग्रोथ करीब करीब 9.7 फीसदी के आसपास आता है. इसी आंकड़े को अगर हम महंगाई दर के समायोजन के बाद देखते हैं तो यही  वर्तमान मूल्य के आंकड़े रियल जीडीपी के टर्म में 23-24 के लिए 173.82 लाख करोड़ तथा वर्ष 2024-25 के लिए 184.88 लाख करोड़ आता है जिससे वृद्धि की दर कम दिखती है जो 6.4 के आसपास आती है.

रियल टर्म में वृद्धि दर कम दिखने का एक और कारण है आधार वर्ष २२-२३ में रियल जीडीपी का आधार 160.71 करोड़ था, अतः आधार वर्ष के आकड़े कम होने के कारण २३-२४ में इसके उछाल का प्रतिशत ज्यादा है. महंगाई दर के समायोजन के बाद रियल जीडीपी के वैल्यू के हिसाब से देखेंगे तो वर्ष २२-२३ में रियल जीडीपी 160.71 लाख करोड़ २३-२४ में 173.82 लाख करोड़ और वर्ष २४-२५ में अनुमान 184.88 लाख करोड़ रूपये, मतलब हम ग्रोथ के ही ट्रैक पर हैं. वर्तमान मूल्य के आधार पर नॉमिनल जीडीपी की बात करें तो वर्ष २२-२३ में जीडीपी २६९.५० लाख करोड़, २३-२४ में २९५.३६  लाख करोड़ और वर्ष २४-२५ में अनुमान 324.11 लाख करोड़ रूपये है जो बताता है कि वर्तमान मूल्य के आधार पर यह ग्रोथ ट्रैक तो और तेज है.

हालांकि पश्चिमी पैटर्न पर आधारित इस आंकड़े में सनातन अर्थशास्त्र आधारित आंकड़े नहीं शामिल हैं, इसलिए इस पर चिंतित होने की जरुरत नहीं है. भारत जैसे प्राचीन देश में जिसका मूल धर्म सनातन है, जिसकी आर्थिक व्यवस्था भी सनातन अर्थव्यवस्था और जिसका आधार उत्सवधर्मी होना है, उसे मंदी की मार का स्थायी खतरा हो ही नहीं सकता. भारत की उत्सवधर्मिता हर बार, हर साल पारिवारिक, सामाजिक और धार्मिक उत्सवों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में जान फूंकती रहती है और भारत में कभी आर्थिक सुस्ती और मंदी आ ही नहीं पाती। सभ्यता के निर्माण से ही भारत की अर्थव्यवस्था मोबाइल मेले और हाट के माध्यम से आगे बढ़ी है जिसमें हर 4 साल में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का मेला जिसे अंग्रेजीदां लोग एक्सपो भी कह सकते हैं, आयोजित होता रहता है जो अर्थव्यवस्था में अपने इकोनॉमिक्स, वहां उपजे आर्थिक सामाजिक और आध्यात्मिक रसायन से कुछ ना कुछ मौद्रिक गणित निकाल ही लेता है. एक छोटे से कांफ्रेंस में जाने से कुछ ना कुछ इकोनॉमिक्स लेकर लोग आते हैं, उनकी कुछ केमिस्ट्री जम जाती है, कुछ गणित बैठ जाता है ,यह तो करोड़ों लोगों के कांफ्रेंस जैसा है तो आर्थिक असर दिखायेगा ही.

इस बार के कुंभ के आंकड़े जो सरकार बता रही है, उसके होने भर से ही नॉमिनल और रियल दोनों जीडीपी के आंकड़े प्रतिशत में ही सही, 1 फीसदी से भी ज्यादे बढ़ोत्तरी हो जाएगी। बतौर उत्तर प्रदेश सरकार उसके अनुमान से देश विदेश से करीब 45 करोड़ लोग इस कुंभ में आएंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो मंच से बताया कि कुंभ से दो लाख करोड़ का व्यापार होगा यदि प्रति व्यक्ति पांच हजार खर्च करता है तो. मैं इसमें थोड़ा और इजाफा करता हूं क्यूंकि देश विदेश से भी लोग आयेंगे, काशी अयोध्या चित्रकूट भी जायेंगे, विदेश के लोग तो देश के कई हिस्से में जायेंगे. यदि उनके घर से कुंभ में आने से लेकर घर वापस आने तक का प्रति व्यक्ति औसत खर्च जोड़ लेंगे तो औसत करीब 10 हजार प्रति व्यक्ति हो सकता है. ऐसे में यदि 45 करोड़ में इस दस हजार प्रति व्यक्ति खर्च का गुणा करेंगे तो यह करीब साढ़े चार लाख करोड़ रूपये होता है. इसे हम दस फीसदी अनुमान रिस्क के नाम पर थोड़ा कम चार लाख करोड़ ही मान लेते हैं तो भी यह अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कमाल का आंकड़ा है.

यहां ध्यान देने योग्य बात है कि यह खर्च अतिरिक्त खर्च होता है जो उनके नियमित खर्च के अतिरिक्त होगा। मतलब यह चार लाख करोड़ अनियोजित खर्च जनवरी से लेकर फ़रवरी के बीच अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त खर्च के रूप में किये जायेंगे। ये खर्चे रियल जीडीपी और नॉमिनल जीडीपी दोनों ही आंकड़े के पैमाने पर 1 फीसदी से ज्यादा बैठेंगे. मतलब कुम्भ का अर्थशास्त्र तिमाही के आंकड़ों को मजबूत करेगा ही करेगा, देश के वार्षिक राष्ट्रीय जीडीपी को भी मजबूत करेगा और अर्थव्यवस्था को भी.

सरकार का इस कुम्भ में हुए निवेश से कई गुना रिटर्न आ जायेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश अवस्थी के अनुसार केंद्र और राज्य सरकार इस पर मिलकर करीब सोलह हजार करोड़ खर्च करेंगे. अगर इसी को आधार मान लें तो सरकार की ही आय कई गुना हो जाएगी. मसलन अगर चार लाख करोड़ पर औसत जीएसटी का संग्रह निकालें तो यह करीब 50 हजार करोड़ के आसपास होगा, इस खर्च पर जो लोगों को आय होगी, उस पर आयकर तथा अन्य सुविधाओं के अप्रत्यक्ष कर जोड़ दें तो यह आंकड़ा एक लाख करोड़ तक पहुँच जायेगा, मतलब कई गुना आय तो सरकार को ही होगी .

ये सारे विश्लेषण और आंकड़े बताते हैं  कि किताबी आंकड़े भले ही कुछ कहें , कुंभ के बाद अगली तिमाही में अर्थ अमृत का प्रसाद मिलने वाला है. तिमाही आकड़े के साथ शेयर बाजार नृत्य करेगा ही करेगा। सांस्कृतिक और सामाजिक पुनरुत्थान के साथ आर्थिक पुनरोत्थान की भी नींव डालेगा यह महाकुम्भ.

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