भारतीय मूल की कंपनियों ने करीब 20 प्रतिशत एच1बी वीजा हासिल किए

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नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) अमेरिका द्वारा जारी किए गए एच1बी वीजा का करीब एक-पांचवां हिस्सा यानी 20 प्रतिशत भारतीय मूल की प्रौद्योगिकी कंपनियों ने हासिल किया है। एच1बी वीजा हासिल करने में इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) सबसे आगे रही हैं। अमेरिकी आव्रजन विभाग के आंकड़ों के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला गया है।

अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर, 2024 की अवधि में विभिन्न नियोक्ताओं को जारी किए गए कुल 1.3 लाख एच1बी वीजा में से लगभग 24,766 वीजा भारतीय मूल की कंपनियों को जारी किए गए। इनमें से इन्फोसिस ने 8,140 लाभार्थियों के साथ अग्रणी स्थान हासिल किया। उसके बाद टीसीएस (5,274) और एचसीएल अमेरिका (2,953) का स्थान रहा।

अमेजन कॉम सर्विसेज एलएलसी के बाद इन्फोसिस यह वीजा हासिल करने में दूसरे स्थान पर रही। अमेजन कॉम सर्विसेज ने 9,265 एच1बी वीजा हासिल किए।

कॉग्निजेंट इस सूची में 6,321 वीजा के साथ तीसरे स्थान पर रही। कॉग्निजेंट की स्थापना चेन्नई में हुई थी, लेकिन अब इसका मुख्यालय न्यू जर्सी में है।

एच1बी वीजा कार्यक्रम कंपनियों को विशेषज्ञता वाले पदों पर अस्थायी रूप से विदेशी पेशेवरों की नियुक्ति की अनुमति देता है। भारत की विशेषरूप से प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियां इस कार्यक्रम से काफी लाभान्वित हुई हैं।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजीज जैसी प्रमुख भारतीय आईटी सेवा कंपनियां लगातार एच1बी वीजाधारकों के लिए शीर्ष नियोक्ताओं में शुमार रही हैं। इस बार विप्रो 1,634 वीजा के साथ निचले स्थान पर रही है। टेक महिंद्रा ने भी इस दौरान 1,199 एच1बी वीजा हासिल किए।

हालांकि, ये कंपनियां कार्यक्रम से लाभ उठा रही हैं, लेकिन जैसे घटनाक्रम चल रहे हैं उनमें इन कंपनियों को नियामकीय बदलावों और सार्वजनिक धारणा के अनुरूप खुद को ढालने की जरूरत होगी। एच1बी वीजा का भविष्य अमेरिकी कंपनियों की कुशल श्रम की जरूरत के साथ व्यापक आव्रजन नीति सुधारों पर निर्भर करेगा।

उद्योगपति एलन मस्क की टेस्ला एच1बी वीजा कार्यक्रम की लाभार्थी रही है। मस्क सार्वजनिक रूप से प्रौद्योगिकी उद्योग की विदेशी पेशेवरों पर निर्भरता का समर्थन कर चुके हैं।

मस्क ने 28 दिसंबर को ‘एक्स’ पर पोस्ट में ऐसे सभी पृष्ठभूमि के लोगों का स्वागत करने की जरूरत बताई थी, जो अपनी मेहनत से अमेरिका में योगदान दे सकते हैं।

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी मस्क का समर्थन किया है। हालांकि, अपने पिछले कार्यकाल में 2020 में ट्रंप ने इस कार्यक्रम पर कुछ अंकुश लगाए थे।

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