नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों के कारण विश्व के सांस्कृतिक मंच पर भारत ने ‘ग्लोबल लीडर’ (वैश्विक अगुवा) की पहचान बनाई है।
बजट सत्र की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा कि बीता दशक भारत की सांस्कृतिक चेतना के पुन: जागरण का दशक रहा है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘हम अपनी विरासत पर गर्व के साथ और विकास के प्रति समर्पण के साथ ऐसा भविष्य गढ़ रहे हैं जहां संस्कृति और प्रगति साथ-साथ आगे बढ़ें।’’
राष्ट्रपति ने यह भी कहा, ‘‘सरकार के प्रयासों से आज विश्व के सांस्कृतिक मंच पर भारत ने ‘ग्लोबल लीडर’ की पहचान बनाई है।’’
उन्होंने उल्लेख किया, ‘‘सभी एशियाई बौद्ध देशों को आपस में जोड़ने के लिए, मेरी सरकार ने पहले एशियाई बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया। पिछले वर्ष ‘वर्ल्ड हैरिटेज कमिटी’ की बैठक का आयोजन भी भारत में हुआ जिसमें 140 देशों ने भाग लिया।’’
मुर्मू ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से पूरा विश्व आज भारत की योग परंपरा को अंगीकार कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रगति की भव्य इमारत को नई बुलंदियों तक ले जाने के लिए मजबूत स्तंभों की जरूरत होती है। भारत के विकास के लिए मेरी सरकार ने ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ के ऐसे ही तीन मजबूत स्तंभ बनाए हैं।’’
मुर्मू ने कहा कि आज ये शब्द पूरी दुनिया में भारत के नए शासन मॉडल का पर्याय बन गए हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने संविधान के लागू होने से पहले बने कानूनों की विस्तृत समीक्षा की है। कई कानूनों को निरस्त या संशोधित किया जा रहा है ताकि पूरा तंत्र वर्तमान सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर सके।
मुर्मू ने कहा, ‘‘सरकार अब तक 1500 से अधिक पुराने, अनावश्यक कानूनों को निरस्त कर चुकी है। गुलामी के कानूनों को हटाकर दंड संहिता के स्थान पर न्याय संहिता लागू की गई है।’’
उन्होंने कहा ‘‘ ‘जन-विश्वास’ और ‘जन-भागीदारी’ के साथ मेरी सरकार जनता का जीवन सुगम बनाने पर कार्य कर रही है। विवादों को निपटाने के लिए ‘विवाद से विश्वास’ की पहल की गई है।’’
उन्होंने कहा कि इसी भावना के साथ सरकार ने 40 हजार से अधिक नियमों को कम या सरल किया है और पैंतीस सौ प्रावधानों को अपराधमुक्त किया है।