जाड़े की मांग निकलने से सरसों तेल-तिलहन में सुधार

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नयी दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) जाड़े की मांग निकलने के बीच सहकारी संस्था-हाफेड और नाफेड द्वारा सोच-समझकर सरसों की निरंतर बिकवाली करने से देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों तेल-तिलहन के दाम में सुधार देखने को मिला। शिकॉगो एक्सचेंज के मजबूत रहने के कारण सोयाबीन तेल तथा मलेशिया एक्सचेंज में सुधार के कारण सीपीओ एवं पामोलीन कीमतों में भी सुधार दर्ज हुआ। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा बिनौला सीड का दाम बढ़ाये जाने की वजह से बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार आया।

दूसरी ओर, वायदा कारोबार में बिनौला सीड का दाम नीचे चलाये जाने की वजह से मूंगफली खल का दाम भी दबाव में होने के कारण मूंगफली तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। महंगा होने की वजह से बेपड़ता बैठने के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम भी कमजोर बंद हुए।

बिनौला खल का वायदा दाम कमजोर रहने की वजह से मूंगफली तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में सुधार का रुख है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि जाड़े की मांग बढ़ने तथा मंडियों में सरसों की संतुलित आपूर्ति के बीच सरसों तेल-तिलहन के दाम सुधार के साथ बंद हुए। हाफेड और नाफेड सोच-समझकर संतुलित ढंग से सरसों की बिक्री कर रहे हैं जिससे मांग के हिसाब से आपूर्ति हो रही है।

उन्होंने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज के मजबूत रहने तथा पाम, पामोलीन का दाम महंगा होने और महंगे दाम वाले सूरजमुखी तेल का आयात कम होने के कारण इन तेलों की कमी को पूरा करने का दबाव सोयाबीन तेल पर निरंतर बढ़ने के आसार हैं। इस परिस्थिति में सोयाबीन तेल कीमतों में भी तेजी रही। लेकिन इस सुधार के बावजूद बंदरगाह पर आयातित सोयाबीन तेल, आयात की लागत से लगभग 1-1.5 रुपये किलो नीचे दाम पर ही बिक रहा है। दूसरी ओर ऊंची लागत के कारण सोयाबीन डीओसी की लिवाली प्रभावित रहने से सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम ऊंचे बोले जा रहे हैं, पर इस ऊंचे दाम पर लिवाल नदारद हैं। केवल भाव ही भाव है। सरकार को यह देखना होगा कि इस तेल की जो कमी आयेगी, उसे किस तरह पूरा किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि बिनौला खल का वायदा दाम कमजोर होने से मूंगफली खल का दाम भी नीचे है। भारतीय कपास निगम ने बिनौला सीड के दाम 300-400 रुपये क्विंटल बढ़ाये हैं, पर संभवत: नकली बिनौला खल का कारोबार जारी रहने के बीच वायदा कारोबार में बिनौला खल के दाम में सीसीआई द्वारा की गई वृद्धि का असर नहीं आया है। गुजरात सरकार के कई पूर्व मंत्रियों और बड़े अधिकारियों ने भी नकली बिनौला खल के कारण मवेशियों को होने वाले नुकसान और बाकी तेल-तिलहनों के दाम पर होने वाले असर को लेकर नकली बिनौला खल के कारोबार पर रोक लगाने की वकालत करते हुए तमाम चेतावनियां जारी की हैं। केन्द्र सरकार को इस नकली खल के कारोबार को रोकने के लिए गुजरात सरकार के साथ मिलकर समन्वित प्रयास करना चाहिये और जांच करानी चाहिये।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,575-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,750-6,075 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,125-2,425 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,675 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,315-2,415 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,315-2,440 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,050 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,300 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,250-4,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 3,950-4,050 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

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