कष्टकर कब्ज से छुटकारा पाएं

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Kabjiyat

कब्ज पेट की एक ऐसी समस्या है जिससे हर कोई न कोई अवश्य पीड़ित होता है। कब्ज होने पर शौच खुलकर नहीं होता। मल सूखा व कड़ा हो जाता है। प्रयास करने पर भी शौच नहीं उतरता। पेट में भारीपन बना रहता है। हरी सब्जी और फल ज्यादा खाने वाले लोग कब्ज का शिकार नहींं होते और उनमें मल की मात्रा मांसाहारियों की अपेक्षा ज्यादा होती है।
कुछ लोग केवल सुबह मल त्याग करते हैं तो कुछ लोग सुबह-शाम दोनों वक्त। खुल कर मल विसर्जित हो जाने से मन प्रफुल्लित हो जाता है जबकि कब्ज रहने से व्यक्ति परेशान और बेचैन रहता है। कब्ज कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है, इसीलिए कब्ज को बीमारियों की जननी कहा गया है।
 वैसे तो कब्ज कई कारणों से होता है लेकिन कब्ज ज्यादातर खान-पान की गलत आदतों से उत्पन्न होता है। भोजन में रेशेदार पदार्थों की कमी से भी कब्ज होता है। उपवास व यात्राकाल में कब्ज होना आम है। मल त्याग की इच्छा होने पर इसे दबाने से भी कब्ज की उत्पत्ति होती है। कुछ ऐसे भी होते हैं जो मल त्याग की इच्छा होने पर सही स्थान और समय न होने के कारण इस इच्छा को दबा देते हैं। ऐसा बार बार करने से गुदा मार्ग के मल से भरा होने पर भी मल त्याग की इच्छा नहीं पैदा होती।
बवासीर, फिशर, मलद्वार में संक्रमण या फोड़े आदि होने पर मल त्याग करते समय होने वाले दर्द के कारण रोगी मलत्याग की इच्छा होने पर इसे दबा देता है जिसके कारण आगे चलकर वह कब्ज से पीड़ित हो जाता है। अत्यधिक धूम्रपान और चाय-कॉफी पीने की आदत भी कब्ज को पैदा करती है। गर्भ के कारण महिलाएं गर्भावस्था में कब्ज से ग्रसित हो जाती हैं, जो प्रसवोपरांत स्वतः दूर हो जाता है।
अधिकतर लोग सुबह शौच के पश्चात् अपने को तरोताजा और तनावरहित महसूस करते हैं। कुछ लोग मल त्याग को लेकर कुछ निश्चित विचार रखते हैं। जब उनकी सोच के अनुसार मल विसर्जन क्रिया नहीं होती तो वे तनावग्रस्त हो जाते हैं और दिन भर परेशान रहते हैं। पेट भारी रहने के कारण वे अपने को ढीला ढाला महसूस करते हैं।
कब्ज रहने पर भूख नहीं लगती। कई लोगों को मतली और चक्कर आता है, बदबूदार गैस छूटती है। जीभ पर सफेद तह जम जाती है। उपरोक्त लक्षण बड़ी आंत में मल के दबाव से पैदा होते हैं। शौच करते समय जोर लगाने से कुछ लोग हर्निया का शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग पक्षाघात या हृदयाघात का शिकार हो सकते हैं। कब्ज से छुटकारा पाने के लिए सेवन किये गये जुलाब से दस्त लग सकते हैं। पेट में दर्द होने लगता है और रोगी में कमजोरी आ सकती है।
ज्यादातर लोगों में कब्ज की उत्पत्ति अनुचित आहार-विहार के कारण होती है इसलिए इससे छुटकारा पाने के लिए खान-पान में सुधार जरूरी होता है। रोगी को चाय-काफी, तम्बाकू व धूम्रपान आदि का कम से कम सेवन करना चाहिए। उसे पानी, पेय पदार्थ, शर्बत और सूप आदि अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इससे मल सख्त नहीं होगा।
भोजन में हरी सब्जी, सलाद, फल, दाल और अंकुरित अनाज शामिल करना चाहिए। नियमित, दाल और अंकुरित अनाज शामिल करना चाहिए। नियमित व्यायाम करना चाहिए। इससे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होने के साथ पाचन क्रिया भी सुधरेगी।
पेट की मांसपेशियों की मालिश करनी चाहिए। मुट्ठी से पेट से दायीं तरफ दबाते हुए ऊपर से जाये तथा पेट के ऊपरी हिस्से को बायें तरफ से दबाते हुए नीचे लाएं। ऐसा करने से आंतों में जमा मल मल मार्ग तक आ जायेगा। रात को गर्म मीठा दूध पीने से कब्ज में राहत मिलती है। ईसबगोल की भूसी 2 से 3 चम्मच एक गिलास गुनगुने पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है।
कब्जग्रस्त व्यक्ति जो पहले स्वस्थ था और भोजन व आदतों में बिना बदलाव के कब्ज से पीड़ित है तो चिकित्सक से मिलकर अपनी जांच करानी चाहिए। यदि रोगी कोलाइटिस या अमीबियासिस से ग्रस्त हो तो उसे अपना उचित इलाज करवाना चाहिए।  

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