राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में भगोड़ों के खिलाफ अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जाना चाहिए: अमित शाह
Focus News 17 January 2025
नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में लंबे समय से देश से फरार चल रहे भगोड़ों के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
मध्य प्रदेश सरकार के प्रतिनिधिमंडल के साथ तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए शाह ने वंचितों को न्याय दिलाने के लिए एक मजबूत कानूनी सहायता प्रणाली की आवश्यकता पर भी जोर दिया और इस उद्देश्य के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने के महत्व पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए उचित कानूनी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में लंबे समय से देश से फरार चल रहे भगोड़ों के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
गृह मंत्री ने उल्लेख किया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में ऐसे भगोड़े अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अनुपस्थिति में मुकदमे का प्रावधान शामिल है।
उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि अंतर-संचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएस) के तहत आवंटित धन का उपयोग केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार सख्ती से किया जाए।
चर्चा के दौरान, शाह ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों का सार प्राथमिकी दर्ज होने से लेकर उच्चतम न्यायालय से फैसला आने तक तीन साल के भीतर न्याय प्रदान करना है।
पिछले साल एक जुलाई को लागू हुए तीनों कानूनों– भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम– ने क्रमशः औपनिवेशिक भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली।
नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अब तक किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए, गृह मंत्री ने राज्य में जल्द से जल्द उनके 100 प्रतिशत कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने उल्लेख किया कि आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित धाराओं के तहत मामले दर्ज करने से पहले, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह मूल्यांकन करना चाहिए कि क्या मामला उन धाराओं के लागू करने योग्य है।
उन्होंने जोर दिया कि इन कानूनी प्रावधानों का कोई भी दुरुपयोग नए आपराधिक कानूनों की शुचिता को कमजोर करेगा।
शाह ने ‘जीरो एफआईआर’ को नियमित प्राथमिकी में बदलने पर निरंतर निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम के माध्यम से दो राज्यों के बीच प्राथमिकियों के हस्तांतरण को सक्षम बनाने के लिए एक प्रणाली स्थापित करने का भी सुझाव दिया।
उन्होंने प्रत्येक जिले में एक से अधिक फॉरेंसिक विज्ञान मोबाइल वाहन की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से साक्ष्यों को दर्ज करने की सुविधा के लिए अस्पतालों और जेलों में पर्याप्त संख्या में सुविधाजनक स्थान बनाने के महत्व को रेखांकित किया।
गृह मंत्री ने कहा कि पुलिस को इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए व्यक्तियों की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। साथ ही, उन्होंने कहा कि जब्ती सूचियों और अदालतों को भेजे गए मामलों का विवरण भी डैशबोर्ड पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
उन्होंने राज्य के पुलिस प्रमुख को इन मामलों की निरंतर निगरानी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
शाह ने फॉरेंसिक विज्ञान में विशेषज्ञता वाले अधिकारियों की भर्ती पर जोर दिया और सुझाव दिया कि मध्य प्रदेश सरकार को इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश ई-समन के कार्यान्वयन में अग्रणी है और राज्य सरकार से एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने का आग्रह किया, जहां अन्य राज्यों के अधिकारी ई-समन के सफल कार्यान्वयन को समझने के लिए मध्य प्रदेश का दौरा कर सकें।
गृह मंत्री ने सुझाव दिया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को हर महीने, मुख्य सचिव को हर 15 दिन में और पुलिस महानिदेशक को हर हफ्ते सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ तीनों नए कानूनों के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए।
उन्होंने डीजीपी को सभी पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने का भी निर्देश दिया और इस बात पर जोर दिया कि समय पर न्याय दिलाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।