बीजिंग, 27 जनवरी (भाषा) चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को यहां विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए तथा एक-दूसरे पर संदेह के बजाय आपसी समन्वय को लेकर प्रतिबद्ध होना चाहिये।
मिसरी भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए चीनी अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए हैं। डेढ़ महीने से भी कम समय में यह भारत के किसी उच्चस्तरीय अधिकारी की दूसरी चीन यात्रा है।
चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मिसरी के साथ बैठक में वांग ने कहा कि पिछले वर्ष रूस के कजान में राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बैठक के बाद से दोनों पक्षों ने दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को गंभीरतापूर्वक क्रियान्वित किया है, सभी स्तरों पर सक्रिय बातचीत की है तथा चीन-भारत संबंधों में सुधार की प्रक्रिया को गति दी है।
वांग ने कहा, “दोनों पक्षों को अवसर का लाभ उठाना चाहिए, एक-दूसरे से मुलाकात करनी चाहिए, अधिक ठोस उपाय तलाशने चाहिए, तथा एक-दूसरे पर संदेह, एक दूसरे से अलगाव के बजाय आपसी समझ, आपसी समर्थन को लेकर प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए।”
वांग ने कहा कि चीन-भारत संबंधों में सुधार व विकास दोनों देशों और उनके लोगों के मौलिक हितों में है, तथा ‘ग्लोबल साउथ’ देशों के वैध अधिकारों व हितों की रक्षा के लिए अनुकूल है।
वांग ने कहा कि भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध एशिया और दुनिया की दो प्राचीन सभ्यताओं की शांति, स्थिरता, विकास और समृद्धि में योगदान देने के लिए भी अनुकूल हैं।
वांग विदेश मंत्री होने के साथ-साथ सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के शक्तिशाली राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और भारत-चीन सीमा तंत्र के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल भारतीय पक्ष के विशेष प्रतिनिधि हैं। मिसरी की यात्रा पिछले महीने विशेष प्रतिनिधि तंत्र के तहत वांग और डोभाल के बीच वार्ता के बाद हुई है।
रविवार को यहां पहुंचने के बाद मिसरी ने चीन की विदेश नीति की दिशा तय करने वाले सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय विभाग के प्रमुख लियू जियानचाओ से मुलाकात की।
सरकारी मीडिया ने बताया कि दोनों पक्षों ने दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को संयुक्त रूप से लागू करने, संपर्क और संवाद को मजबूत बनाने , चीन-भारत संबंधों के सुधार, स्वस्थ व स्थिर विकास को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।