सर्दियों में साग की बहार होती है। पालक, मेथी, सरसों, बथुआ इसी मौसम में आते हैं। सर्दियों में साग खाने का मजा ही कुछ अलग होता है। मक्खन, देसी घी का तड़का लगा साग और मक्की की रोटी पंजाब का मुख्य भोजन है। बथुआ स्वाद और गुणों में अपनी एक अलग पहचान रखता है क्योंकि बथुए का हरा रायता बनता है जो देखने में सुंदर लगता है। बथुआ खाने से पाचन क्रिया मजबूत बनती है और कब्ज दूर होती है। बथुए की पत्तियों को उबालकर छान लें। उस छने पानी में थोड़ी सी चीनी मिलाकर दिन में दो बार लें। कब्ज दूर हो जाएगी। बचे हुए बथुए के पत्तों को आटे में गूंथ दें। बथुए का पानी लिवर रोगों में भी लाभप्रद होता है। बथुए के नियमित सेवन से बवासीर दूर होने में मदद मिलती है। बथुए के जूस में थोड़ा नमक मिला कर बच्चे को देने से पेट के कीड़ों से निजात मिलती है। दो कप बथुआ जूस में आधा कप सरसों का तेल मिलाए और गर्म करें। तब तक गर्म करें जब तक केवल तेल ही नीचे बच जाए। इस तेल को त्वचा के उस भाग पर लगाएं जहां खुजली, एग्जीमा आदि हो। त्वचा पर होने वाली खुजली शांत होगी। बथुआ सूप पिएं और बथुए का साग नियमित लें। सेहत के लिए बहुत लाभदायक है। बथुए की पत्तियों को उबालकर छान लें। उस पानी से बाल धोएं। जुएं मर जाएंगी और बाल साफ होंगे। बथुए के नियमित सेवन से किडनी समस्याएं ठीक होती हैं, स्टोन नहीं बनते और पेशाब खुलकर आता है। 2-3 माह तक नियमित ताजे बथुए का 2 चम्मच जूस पीने से जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है।