स्मार्टफोन कलपुर्जों पर शुल्क कटौती से इलेक्ट्रॉनिक परिवेश प्रभावित होगा, नौकरियां जाएंगी: जीटीआरआई

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नयी दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में स्मार्टफोन के कलपुर्जों पर सीमा शुल्क में किसी भी तरह की कटौती से भारत के विकासशील कलपुर्जा परिवेश को नुकसान पहुंचेगा, निवेश हतोत्साहित होगा, आयात बढ़ेगा और स्थानीय कंपनियां प्रतिस्पर्धी नहीं रहेंगी जिसके परिणामस्वरूप नौकरियां जाने की आशंका है। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने मंगलवार को यह बात कही।

भारत के स्मार्टफोन उद्योग का उत्पादन 2023-24 तक 49.2 अरब अमेरिकी डॉलर और निर्यात 15.6 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। इससे डीजल, विमानन ईंधन और पॉलिश किए गए हीरे के बाद सबसे अधिक निर्यात किए जाने वाले सामान की सूची में स्मार्टफोन का चौथा स्थान होगा।

हालांकि, कुछ उद्योग समूह वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में स्मार्टफोन घटकों पर आयात शुल्क में और कटौती करने पर जोर दे रहे हैं।

‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने आगाह किया कि इससे भारत के बढ़ते स्थानीय विनिर्माण परिवेश और इलेक्ट्रॉनिक में दीर्घकालिक महत्वाकांक्षाओं को नुकसान पहुंच सकता है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ शुल्क में कटौती करने के बजाय जीटीआरआई आयात में देरी और भंडारण लागत को कम करने के लिए बंदरगाहों के पास घटक केंद्र स्थापित करने की सिफारिश करता है। वियतनाम और चीन जैसे देशों द्वारा अपनाए गए इस दृष्टिकोण से स्थानीय विनिर्माण को समर्थन मिलेगा तथा आयात पर निर्भरता कम होगी।’’

शुल्क कम करने के छह प्रमुख जोखिमों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी कटौती से भारत के विकासशील घटक परिवेश को नुकसान पहुंचेगा, निवेश हतोत्साहित होगा तथा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को चोट पहुंचेगी। इससे निर्यात को बढ़ावा देने में मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि वर्तमान निर्यात योजनाएं पहले से ही विनिर्माण निर्यात के लिए शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देती हैं।

उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन विनिर्माण में देश की सफलता शुल्क, प्रोत्साहन तथा चरणबद्ध कार्यक्रमों के जरिये स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने वाली नीतियों से उपजी है और शुल्क में कटौती इस ढांचे को कमजोर कर सकती है।

शुल्क को पिछले वर्ष पहले ही 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया था।

आयात पर जीटीआरआई ने कहा कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक घटक का आयात बढ़ रहा है। यह वित्त वर्ष 2018-19 में 15.8 अरब अमेरिकी डॉलर से वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 34.4 अरब डॉलर हो गया।

इसमें कहा गया है कि शुल्क में और कटौती से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता बढ़ेगी, जिससे भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के प्रति संवेदनशील हो जाएगा।

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