अक्सर बुखार दो तीन से ज्यादा रहता है तो हम स्वयं ही एंटीबायोटिक का सेवन कैमिस्ट से पूछकर करना शुरू कर देते हैं जो गलत है। कभी कभी डाक्टर आपको परेशान देख एंटीबायोटिक का कोर्स शुरू करवा देते हैं। सच यह है कि बुखार में सिर्फ टायफायड होने पर ही एंटीबायोटिक की जरूरत पड़ती है। – डेंगू बुखार होने पर जब प्लेटलेट्स 20 हजार से या उससे भी कम हो तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। जल्दी में प्लेटलेट्स न चढ़वाएं बल्कि ऐसा करने से रिकवरी होने में ज्यादा वक्त लगता है। – ज्यादा एंटीबायोटिकं का सेवन शरीर को उसका आदी बना देता है। जरूरत पड़ने पर उसका प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता क्योंकि एंटीबायोटिक के साइड इफैक्ट होने के कारण शरीर में गुड बैक्टीरिया मारे जाते हैं। – तेज बुखार होने पर बच्चे को ज्यादा न ढंके। इससे शरीर का तापमान बढ़ता है। रोगी को खुली ताजा हवा लगने दें। बहुत तेज होने पर शरीर पर सादा पानी की पट्टियां रखें ताकि तापमान कम हो सके। जरूरत पड़ने पर कूलर या एसी भी चला सकते हैं। – बुखार चढ़ने के दो दिन बाद डाक्टर की सलाह अनुसार टेस्ट करवाएं। अपनी मर्जी से टेस्ट करवाने की जल्दी न करें। – बुखार होने पर पैरासिटामोल (क्रोसिन) आदि लें जो बुखार के लिए सुरक्षित है। अपनी मर्जी से कांबिफ्लेम, ब्रूफेन न लें। इससे प्लेटलेट्स कम होते हैं। – बुखार में आराम जरूरी है। पानी खूब पिएं, चाहे सूप या नींबू पानी के रूप में पिएं ताकि पानी की कमी शरीर में न हो। पानी की पर्याप्त मात्रा बीमारी से लड़ने में मदद करती है।