आधुनिक जीवनशैली की देन है मधुमेह

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आमतौर पर देखा गया है कि मधुमेह एक असाध्य बीमारी होती है जिसे अंकुश में तो किया जा सकता है परन्तु खत्म नहीं किया जा सकता इसीलिए डॉक्टरों की भी यही सलाह है कि मधुमेह को शुरूआती दौर में ही कंट्रोल करना उचित है वरना भविष्य में इसे रोक पाना बड़ा टेढ़ी खीर साबित होगा।
यूं तो साइलेंट किलर के नाम से विख्यात हो चुके मधुमेह को लापरवाह जीवनशैली की देन माना जाता है किंतु यदि हम सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धान्तों का पालन करते हैं तो यकीनन मधुमेह को नियंत्राण में रखते हुए इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
वस्तुतः इससे बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। इस दौरान आप अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर भी समाधान ढूंढ सकते हैं। इस तरह न सिर्फ आप मधुमेह से बचाव कर पायेंगे अपितु ब्लड शूगर को भी नियंत्रित करने में कामयाब हो जायेंगे। रही बात हार्ट अटैक, किडनी की समस्या, लकवा और अंधेपन जैसी अन्य बीमारियों की तो ये स्वतः ही दूर हो जायेंगी। आइए अब जानते हैं मधुमेह बीमारी को कुछ और नजदीक से:-
मधुमेह का प्रकार:- चिकित्सकों के अनुसार मधुमेह दो प्रकार के होता है। पहला नंबर इंसुलिन आधारित मधुमेह का आता है जबकि दूसरे नंबर पर बिना इंसुलिन आधारित मधुमेह को गिना जाता है। चिकित्सकों की मानें तो पहले नंबर का मधुमेह 17 वर्ष से 25 वर्ष तक के युवाओं को अपनी चपेट में लेता है जिसमें शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने हेतु इंसुलिन के टीके लगाने की जरूरत पड़ती है। और तो और, यदि एक दफा इंसुलिन लेने की शुरूआत हो जाती है तो फिर इससे बचा नहीं जा सकता। यह हर दम की आवश्यकता बन जाती है।
इसके विपरीत नंबर दो मधुमेह बहुत अधिक गंभीर नहीं होता और यह अक्सर वयस्कों में ही पाया जाता है। इसमें बाहर से इंसुलिन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसलिए यह कतई नहीं सोचना चाहिए कि यह तो जीवन भर चलने वाली बीमारी है, इसलिए कब तक मन पर अंकुश रखकर एहतियात से रहते रहेंगे। मरना तो एक दिन है ही, इसलिए खा-पीकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर लें। इस पथ पर चलने का मतलब है अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना।
बता दें कि मधुमेह पर नियंत्राण न रखने पर मरीज विभिन्न बीमारियों से पीडि़त होकर जीवन को बहुत ही अधिक पीड़ादायी और नारकीय बना लेता है। वस्तुतः यदि आप भी चाहते हैं कि मधुमेह कंट्रोल में रहे और काया पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े तो अपने आहार को नियंत्राण में रखें क्योंकि मधुमेह इलाज के लिए आहार नियंत्राण बहुत ही अधिक मायने रखता है।
मधुमेह होने का कारण:- वास्तव में देखा जाए तो मधुमेह होने का मुख्य कारण खान-पान में अनियमितता का होना होता है लेकिन फिर भी यह शारीरिक श्रम में कमी हो जाने पर भी उत्पन्न अवश्य हो सकती है। यही नहीं, शरीर में अत्यधिक मोटापा तथा वंशानुगत होने पर भी मधुमेह रूपी बीमारी पैदा हो सकती है।
मधुमेह के लक्षण:- मधुमेह नामक बीमारी से पीडि़त होने पर प्रायः व्यक्ति को बार-बार पेशाब आना, बहुत ज्यादा प्यास का लगना, अत्यधिक भूख लगना, वजन कम होना, थकान महसूस करना, फोड़े-फुंसियों का उत्पन्न होना, घावों का जल्द ठीक न होना, त्वचा तथा मसूड़ों में विकार होना के अतिरिक्त धुंधला दिखलाई देना एवं चश्मे का लगातार नंबर बढ़ते रहना आदि पाया जाता है।
मधुमेह से निजात पाने के उपाय:- मधुमेह से ग्रसित रोगियों को अक्सर अपने आहार में ऐसी चीजों को प्राथमिकता देनी चाहिए जिससे भोजन तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल सकें यानी कार्बोहाइडेªट, विटामिन, प्रोटीन, खनिज लवण इत्यादि अधिक मात्रा में मौजूद होना चाहिए। इसके अलावा, भोजन में देसी घी, डालडा व मक्खन का पूरी तरह से त्याग कर इसके स्थान पर जैतून का तेल, सरसों का तेल और सूरजमुखी का तेल सेवन में लाया जाना चाहिए जबकि नियमित व्यायाम एवं योग करके भी इसे आप नियंत्राण में रख सकते हैं बशर्ते रोजाना एक घंटा तेज कदमों से चलना होगा।
दिन भर ऑफिस में बैठे रहने की बजाय शारीरिक श्रम को अपना कर भी मधुमेह से छुटकारा पाया जा सकता है। स्मरण रखें कि इस बीच जंक एवं फास्ट फूड के अलावा कोल्ड ड्रिंक से उचित दूरी बनाए रखने के साथ-साथ शराब और तंबाकू जैसे नशीले पदार्थों से भी परहेज करना है अन्यथा मधुमेह को नियंत्रित कर पाना बड़ा मुश्किल हो जायेगा।
इसके अतिरिक्त रसाहार से मधुमेह पर अंकुश रखना अविश्वसनीय भले ही लगता हो परन्तु यह सौ फीसदी सत्य है कि यदि मधुमेह के मरीज निरंतर रसाहार का सेवन करें तो रोग पूरी तरह से व्यक्ति के अंकुश में रह सकता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मधुमेह से पीडि़त लोगों के लिए टमाटर का रस अथवा सूप का उपयोग बेहद फायदेमंद साबित हो रहा है। यही नहीं, गाजर के रस का सेवन करने से भी मधुमेह को कंट्रोल में रखा जा सकता है क्योंकि गाजर में पाये जाने वाला ‘टाकोकिनिन’ तत्व हमारी काया में बनने वाले इंसुलिन से काफी मिलता-जुलता है। जामुन की गुठली भी मधुमेह रूपी बीमारी को नियंत्राण रखने में बेहद सहायता करती है।
जहां तक व्यायाम की बात आती है तो आप अपनी रूचि के अनुसार व्यायाम का बखूबी चयन कर सकते हैं। इसके लिए पैदल भ्रमण करना, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैरना आदि को अमल में लाया जा सकता है परन्तु ध्यान रखें कि इस दौरान अधिक व्यायाम नहीं करना है वरना यह आपकी सेहत हेतु कतई ठीक नहीं होगा।
यदि आप उपरोक्त बातों को स्मरण में रखते हैं तो निस्संदेह मधुमेह रूपी साइलेंट किलर बीमारी को बड़ी सरलतापूर्वक अपने अंकुश में रखते हुए जीवन में आनंद प्राप्त कर सकते हैं अन्यथा कदापि नहीं।
 

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