भाजपा ‘दरारवादी’ और ‘हृदयहीन’ पार्टी : अखिलेश

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लखनऊ, सात जनवरी (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और उसे ‘‘दरारवादी’’ और ‘‘हृदयहीन’’ पार्टी करार दिया।

अखिलेश यादव ने लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘ये भाजपा के लोग जो सत्ता में हैं, ये भाईचारे के पक्ष में नहीं हैं। ये ‘दरारवादी’ पार्टी है। भाजपा एक ‘दरार वादी’ पार्टी है। इनके लिए इंसान के जीवन का कोई मोल नहीं है, क्योंकि ये इसका इस्तेमाल राजनीति करने और राजनीतिक लाभ उठाने के लिए करते हैं।’’

यादव ने कहा, ‘‘अगर आप भाजपा के काम को देखेंगे या उसके कार्यकाल में किए गए काम का विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि यह कितनी ‘हृदयहीन’ पार्टी है। इतनी घटनाएं होने के बावजूद किसी के प्रति संवेदना नहीं है। उत्तर प्रदेश में लगातार घटनाएं हो रही हैं और वह भी तब जब वे दावा करते हैं कि वे एक ‘जीरो टॉलरेंस’ (बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने) वाली सरकार चला रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि न्याय मिलना और जनता की सुनवाई कहीं नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें से एक पहलू पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के प्रति अन्याय और दूसरा भ्रष्टाचार। इसमें कभी एक पक्ष ऊपर जाता है तो कभी दूसरा। इस असंतुलन को छिपाने के लिए ‘संभल’ जैसी साजिश रची गई।’’

सपा प्रमुख यादव ने यह भी कहा कि कुंदरकी और मीरापुर में हुए उपचुनावों में हुई लूट को छिपाने के लिए भी संभल जैसी घटनाएं की गईं।

अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय संभल जाकर लोगों से बात करना चाहते थे, लेकिन सरकार ने निषेधाज्ञा लगा दी।

उन्होंने कहा, ‘‘जब वे (सपा प्रतिनिधिमंडल) दूसरी बार गए, तो उसी प्रशासन (जिसने अनुमति नहीं दी थी) ने उन्हें जाने दिया। इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार क्या छुपाना चाहती थी, जिसके कारण उसने प्रतिनिधिमंडल को वहां जाने की अनुमति नहीं दी।’’

सपा प्रमुख यादव ने यह भी दावा किया कि बड़ी संख्या में लोगों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

पिछले वर्ष चौबीस नवंबर को संभल में मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और सुरक्षाकर्मियों समेत कई अन्य घायल हो गए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘जो पूरी घटना हुई, वह सरकार ने अधिकारियों के माध्यम से करायी। आखिर सर्वे कराने की क्या जल्दी थी। उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत आप सर्वे नहीं कर सकते। फिर भी, सरकार और अधिकारियों ने एक रणनीति और साजिश के तहत यह किया। और, जिन लोगों की जान गई, वह प्रशासन की गोलियों के कारण गई। यह कोई दंगा नहीं था।’’

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