संतुलित आहार की सारणी अनावश्यक

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इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि स्वास्थ्य से खान-पान का सीधा संबंध है। स्वास्थ्य संबंधी लेखों में प्रायः संतुलित आहार की व्याख्या की जाती है और संतुलित आहार की एक सारणी से आपका परिचय करा दिया जाता है। बहुत लोग उस लेख और उस सारणी का अध्ययन मात्रा अध्ययन करने के लिए करते हैं और बात समाप्त हो जाती है।
ऐसी किसी संतुलित आहार की सारणी की शरण में जाने और उसे देख-देख कर भोजन करने का तात्पर्य है अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क होना, अधिक चिंतित होना और अधिक संवेदनशील होना।
स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क, चिंतित एवं संवेदनशील होना स्वास्थ्य के हित में नहीं है। यह मनोवैज्ञानिक असर डालता है और आप ‘हर समय अस्वस्थ हो जाने की आशंका’ वाली मानसिकता के शिकार हो जाते हैं। मन शरीर को और शरीर मन को सीधे प्रभावित करता है, अतः कहना यही होगा कि स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क, चिंतित एवं संवेदनशील होने का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
आपके शरीर के लिये आवश्यक तत्वों का संतुलन किन कारणों से बिगड़ता है, क्या कभी आपने इस बात पर विचार किया है?
मात्रा दो कारण हैं जिनसे आपके शरीर के लिए आवश्यक तत्वों का संतुलन बिगड़ता है और परिणामतः आपका स्वास्थ्य भी बिगड़ता है।
पहला कारण है, खाने की वस्तुओं में से कुछ के प्रति  आपकी विशेष रूचि, जिसके कारण आप उन्हें आवश्यकता से अधिक लेते हैं। परिणामतः आपके शरीर में कुछ तत्वों की अनावश्यक वृद्धि हो जाती है अर्थात् संतुलन बिगड़ जाता है।
दूसरा कारण है खाने की वस्तुओं में से कुछ के प्रति आपकी अरूचि जिसके कारण आप उन्हें बिलकुल नहीं लेते या नहीं के बराबर लेते हैं। परिणामतः आपके शरीर में कुछ तत्वों की कमी हो जाती है अर्थात् संतुलन बिगड़ जाता है।
खान-पान के संबंध में किसी संतुलित आहार की सारणी की आवश्यकता नहीं है। उसका तो बिलकुल सरल और सीधा सा समीकरण है कि खाने की किसी वस्तु में न तो विशेष रूचि रखें और न किसी वस्तु से परहेज बरतें। आपको बस इतना करना है कि खाने की वस्तुओं के संबंध में ’विशेष रूचि‘ एवं ’अरूचि‘ वाली आदतों को त्यागना है।
कबीर का ’न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर‘ वाला सिद्धांत खान-पान के संबंध में अपनायें। प्राकृतिक ढंग से अपने शरीर में सभी तत्वों का संतुलन बनाये रखेंगे तो आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति अतिरिक्त चिंता का बोझ नहीं ढोना पड़ेगा और आप स्वस्थ रहेंगे। हां, आपको वह अवश्य देखना है कि जो कुछ खायें, वह साफ-सुथरा हो, सड़ा गला न हो। आप जितने अधिक चिन्तामुक्त होंगे, उतने ही स्वस्थ होंगे। सब कुछ खाओ और स्वस्थ रहो। 
 

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