हम भारतीयों की छः प्रजातियां हैं

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आज हम भारतीय हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध, जैन, पारसी आदि धर्मों में बंटे हुए हैं किन्तु हमारे पूर्वज किसी जाति विशेष के न होकर अनेक प्रजातियों के हैं, जिस प्रकार अन्य प्राणियों की प्रजातियां होती हैं। हालांकि किसी जाति विशेष से जोड़ना कठिन है परन्तु आमतौर पर हम सभी भारतीय स्वयं को आर्य जाति का मानते हैं। प्रसिद्ध भारतीय मानव शास्त्रा डॉ. गुहा द्वारा प्रस्तुत भारतीय वर्गीकरण ही आज सर्वमान्य है। डॉ. गुहा के अनुसार हम भारतीयों का उत्सर्ग पांच प्रमुख प्रजातियों में हुआ है जो इस प्रकार हैं।
1ण् नीग्रिटो 2. प्रोटो ऑस्ट्रालॉयड्स 3. मंगोलॉयड्स 4. ड्रेविडियंस 5. नॉर्डिक आर्यन्स।
नीग्रिटो :- अफ्रीका के मूल निवासी यहां आकर भारत भूमि पर बसे थे। ये भारत के प्रथम बाशिंदे थे। दक्षिण भारत में पहाड़ी क्षेत्रों में कुरूंबा, कोदार, इनूला, और पनियान आदि के रूप में यह लोग अल्प मात्रा में आज भी पाये जाते हैं, इनकी भाषा कुछ हद तक आज भी जीवित है।
प्रोटो ऑस्ट्रालॉयड्स :- भारतीय सभ्यता के जनक कहे जाने वाले ये लोग भारत से फैलकर मलाया, बर्मा, दक्षिण पूर्व एशिया तक पाये जाते हैं। कोल और मुंडा जनजाति के रूप में इनकी पहचान है। इनका सिर लंबा, माथा चौड़ा और बाल मुड़े हुये होते हैं। आंखों के किनारे पर हड्डियां उठी हुयी, नाक चपटी तथा मोटी, दांत लंबे, जबड़े चौड़े होते हैं। इनकी त्वचा काले रंग की होती है। हाथ सामान्यतः कुछ अधिक लंबे होते हैं। यह भी बताया जाता है कि नीग्रिटो प्रजाति से इनका मिश्रण हो गया है। इनकी ठोड़ी छोटी और कद मध्यम आकार का होता है।
मंगोलॉयड्स :- इस प्रजाति के लोग असम, नागालैण्ड, मिजोरम आदि उत्तर पूर्वी भारत में पाये जाते हैं। इनके गालों की हड्डियां ऊंची, कद मध्यम आकार का, रंग सामान्य पीला, आंखे तिरछी होती हैं इनके शरीर पर बालों की संख्या कम होती है।
नॉर्डिक आर्यन्स :- आर्यों के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह लोग ईसा से कोई 2000 वर्ष पूर्व आकर पंजाब में बसे थे। बाद में वह लोग गंगा की घाटी और आगे तक फैल गये। आर्यों को घुमक्कड़ी व पशु पालने का शौक था। भारत आने पर आर्यों का संपर्क उन स्थानीय लोगों से हुआ जो आर्यों से उच्च सभ्यता वाले थे और जिन्होंने ईंटों का निर्माण कर अपने लिए पक्के घर, अनेक दुर्ग और नगरों का निर्माण कर लिया था। मान्यता है कि सिंधु घाटी के लोगों का बाहर से आये आर्य लोगों के साथ विवाह आदि के द्वारा अंतर मिश्रण हुआ और आर्यों ने सिंधु घाटी सभ्यता को अपनी सभ्यता के रूप में ग्रहण कर लिया।
ड्रेविडियंस :- द्रविड़ प्रजाति के बीच मेडिट्रेनियम, प्राच्य मेडिट्रनियम, पैलियो मेडिट्रेनियम तीनों ही शामिल थे। यह लोग एशिया माइनर, क्रीट और पूर्व हैलेनिक यूनानी प्रजाति के वंशज थे। इन्होंने ही सिंधु घाटी सभ्यता का निर्माण किया। बाद में यह संपूर्ण भारत में फैल गया। पश्चिमी चौड़ी खोपड़ी वाली प्रजाति के लोग भारत में बहुत कम संख्या में हैं।