नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन समेत तीन व्यापारिक साझेदारों पर उच्च सीमा शुल्क लगाने की घोषणा से भारत के लिए बड़े निर्यात अवसर पैदा होंगे।
इसके साथ ही सुब्रमण्यम ने कहा कि घरेलू उद्योग को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।
ट्रंप ने पिछले सप्ताह मेक्सिको और कनाडा से आयात पर 25 प्रतिशत सीमा शुल्क और चीन से आयात पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कही थी।
सुब्रमण्यम ने यहां संवाददाताओं से कहा, “ट्रंप ने अब तक जो भी घोषणा की है…मुझे लगता है कि भारत के लिए अवसर हैं। हम पहली स्लिप में खड़े हैं और गेंद हमारी तरफ आ रही है। हम इसे पकड़ेंगे या छोड़ देंगे, यह हमें देखना है। मुझे लगता है कि आप अगले कुछ महीनों में कुछ कदम देखेंगे।”
उन्होंने कहा कि इस कदम की वजह से अमेरिकी व्यापार में बड़ी रुकावटें आने वाली हैं और इससे भारत के लिए ‘बहुत बड़े’ अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने कहा, “सवाल यह है कि अगर हम वास्तव में खुद को तैयार करते हैं, तो इससे बहुत बड़ा उछाल आ सकता है… क्योंकि व्यापार में बदलाव होने वाला है।”
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। पिछले वित्त वर्ष में भारत का अमेरिका को निर्यात 77.51 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 42.2 अरब डॉलर रहा। भारत के आईटी निर्यात राजस्व में भी अमेरिका का हिस्सा 70 प्रतिशत है।
ये टिप्पणियां इस लिहाज से अहम हैं कि ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान में भारत को आयात शुल्कों का ‘दुरुपयोग करने वाला’ बताया था। उन्होंने अक्टूबर 2020 में भी भारत को ‘टैरिफ किंग’ करार दिया था।
उन्होंने कारोबार की मुद्रा के तौर पर अमेरिकी डॉलर को बदलने के किसी भी कदम के खिलाफ ब्रिक्स समूह को चेतावनी दी है। इस नौ सदस्यीय समूह में भारत, रूस, चीन और ब्राजील भी शामिल हैं।
नीति आयोग ने भारत के व्यापार परिदृश्य पर एक रिपोर्ट भी जारी की। इस रिपोर्ट को आयोग तिमाही आधार पर जारी करेगा।
इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि व्यापार घाटे को लेकर अधिक ‘आसक्त’ नहीं होना चाहिए क्योंकि अर्थव्यवस्था को आयात से अधिक लाभ होता है। उन्होंने कहा कि व्यापार केवल निर्यात के बारे में न होकर आयात के बारे में भी है।
बेरी ने कहा, “हमारे पास एक अस्थिर विनिमय दर होने से संरचनात्मक रूप से हमारा व्यापार घाटा होगा। हम निवेश करना चाहते हैं, इसलिए हमारे पास संरचनात्मक रूप से चालू खाता घाटा भी होगा। ये अच्छे हैं, बुरे नहीं।”