नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने संबंधी प्रस्ताव का नोटिस दिया है और उन्होंने कहा कि ऐसे नोटिस का कोई वैध आधार नहीं है।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने राज्यसभा के सभापति धनखड़ को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस मंगलवार को राज्यसभा के महासचिव को सौंपा।
विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से राज्यसभा की कार्रवाई संचालित करने के कारण यह कदम उठाना पड़ा है।
उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।
विपक्ष के कदम के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्हें संवैधानिक प्रक्रिया की समझ नहीं है। राज्यसभा के सभापति या उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।’’
उन्होंने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव ‘‘शायद’’ नियम 67 (बी) के तहत उस समय लाया जा सकता है जब राज्यसभा के सभापति पद पर बैठा व्यक्ति किसी तरह की अनुशासनहीनता या पक्षपातपूर्ण या ऐसे कृत्य में शामिल होता है जो संविधान के दायरे से बाहर हो।
उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में (सदन में) सभापति से ज्यादा विनम्र कोई नहीं है। वह हाथ जोड़कर सभी से बात करते हैं।’’
उन्होंने विपक्ष के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि धनखड़ ने उच्च सदन की कार्यवाही पक्षपातपूर्ण तरीके से संचालित की।
शर्मा ने कहा, ‘‘उन्होंने (धनखड़ ने) पहले कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं को बुलाया और सत्ता पक्ष के कुछ लोगों को बाद में बोलने की इजाजत दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए इस आधार पर राज्यसभा के सभापति के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है।’’
शर्मा ने कहा, ‘‘यहां न तो अनुशासनहीनता का कोई मामला है, न ही पक्षपातपूर्ण होने का मामला है और न ही ऐसा कोई कृत्य है जो संविधान के दायरे से बाहर हो।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने का विपक्षी दलों का नोटिस दबाव बनाने का प्रयास है ताकि वे सदन की कार्यवाही बाधित कर सकें।
विपक्षी दलों और धनखड़ के बीच तनावपूर्ण संबंधों के मद्देनजर कांग्रेस के नेतृत्व में नोटिस दिया गया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘राज्यसभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण ‘इंडिया’ गठबंधन के सभी घटक दलों के पास उनके खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।’’
उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह कदम उठाना पड़ा है।