शरीर पर हर मौसम का अलग-अलग प्रभाव रहता है। अधिक सर्दी भी शरीर पर कभी-कभी कुप्रभाव डालती है। बच्चे और बड़ी आयु के लोग न तो अधिक सर्दी बर्दाश्त कर पाते हैं, न अधिक गर्मी। इस ठण्ड से यदि अपने आपको बचा कर रखा जाए तो शीत ऋतु का पूरा आनंद उठाया जा सकता है। आवश्यकता है कुछ चौकन्ना रहने की। बॉडी वार्मर पहन कर हम स्वयं को सर्दी के प्रकोप से बचा सकते हैं। सर्दियों में मोटे कपड़े पहनने से ज्यादा आराम मिलता है। सर्दियों में अपनी त्वचा को खुश्की से बचाने के लिये नहाने से आधा घंटा पहले सरसों के तेल या जैतून के तेल से शरीर की मालिश करें। तेल को हल्का सा गर्म कर लेना चाहिए। नहाते समय तेज गर्म पानी से स्नान नहीं करें। पानी का तापमान उतना रखें जितना शरीर आराम से सह सके। गाल और होंठ फटने की स्थिति में ग्लिसरीन, नींबू का रस और गुलाब जल बराबर मात्रा में मिला कर एक शीशी भर कर रख दें। प्रतिदिन रात्रि में सोने से पहले हाथों, होंठों और गालों पर लगाएं। चेहरे और हाथों की खुश्की दूर करने के लिए देसी घी और मलाई का प्रयोग भी किया जा सकता है। सर्दियों में शरीर को चुस्त रखने के लिए रूटीन काम अवश्य करते रहें नहीं तो शरीर शिथिल पड़ जायेगा। खाने पीने का विशेष ध्यान सर्दियों में रखना चाहिए क्योंकि इस ऋतु में जठराग्नि तेज हो जाती है। उचित आहार न लेने से शरीर कमजोर पड़ सकता है। शीत ऋतु में मूंगफली, गुड़ व शक्कर का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है। शीत ऋतु में पानी भी खूब पीना चाहिए। तरल पेय के लिए आप हरी सब्जियों का गर्म सूप या जूस अवश्य लें जो अच्छी सेहत के लिए लाभप्रद है। सर्दियों में पत्तागोभी, शलगम, गाजर, मूली, पालक के अलावा चुकन्दर का सेवन अधिक करें क्योंकि चुकन्दर विशेषकर छाती में ’कंजेशन’ दूर करने के लिए उचित माना जाता है। लहसुन का सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। कच्चे लहसुन का सेवन अधिक लाभप्रद होता है। सर्दियों में शहद के सेवन से गले के ‘टिशूज‘ को बचाया जा सकता है। नियमित सेवन से गला खराब कम होता है। सर्दियों में स्वास्थ्य ठीक रखने के लिये भरपूर खायें, नींद पूरी लें और नियमित व्यायाम करें। तुलसी, अदरक व लौंग की चाय पीने से सर्दी जुकाम से शीत ऋतु में बचा जा सकता है। खांसी, जुकाम के रोगियों से स्वयं को बचा कर रखें। उनका जूठा न खायें, न ही एक ही कप से चाय पिये।