वर्ष 2024 में सीएए और नये आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन गृह मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धि रही

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नयी दिल्ली,  एक सदी पुराने आपराधिक कानूनों को बदलकर आधुनिक और प्रौद्योगिकी आधारित आपराधिक न्याय प्रणाली शुरू करने के लिए नए कानूनों का क्रियान्वयन, विवादास्पद संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) को लागू करना और मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए कार्रवाई करना, ये कुछ ऐसे प्रमुख कार्य रहे जिनमें वर्ष 2024 में केंद्रीय गृह मंत्रालय व्यस्त रहा।

जम्मू-कश्मीर में बिना किसी बड़ी घटना के विधानसभा चुनाव कराने में निर्वाचन आयोग की सहायता करना तथा नक्सल प्रभावित राज्यों और पूर्वोत्तर क्षेत्र में हिंसा को कम करना देश के इस महत्वपूर्ण मंत्रालय की अन्य प्रमुख उपलब्धियां रहीं।

तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम – ने क्रमशः औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया। नए कानून एक जुलाई से लागू हो गए हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि नए कानून न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देंगे, जबकि औपनिवेशिक काल के कानून दंडात्मक कार्रवाई को प्राथमिकता देते थे। उनका कहना था, ‘‘ये कानून भारतीयों द्वारा, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए हैं और औपनिवेशिक आपराधिक न्याय कानूनों के अंत का प्रतीक हैं।’’

नए कानून आधुनिक न्याय प्रणाली पर आधारित हैं, जिनमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से समन और सभी जघन्य अपराधों के लिए घटनास्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं।

सीएए को इस साल मार्च में लागू किया गया था और मई में कानून के तहत 14 लोगों के पहले समूह को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी।

सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सताए गए ऐसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई प्रवासियों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे।

वर्ष 2019 में कानून बनने के कुछ दिनों बाद ही सीएए को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी, लेकिन जिन नियमों के तहत भारतीय नागरिकता दी जानी थी, वे लगभग चार साल की देरी के बाद 11 मार्च को अधिसूचित किए गए।

वर्ष 2019 में सीएए के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए और आंदोलनकारियों ने इसे ‘‘भेदभावपूर्ण’’ करार दिया। देश के विभिन्न हिस्सों में सीएए विरोधी प्रदर्शनों या पुलिस कार्रवाई के दौरान सौ से अधिक लोगों की जान चली गई।

मणिपुर में हिंसा की घटनाएं जारी हैं, जहां बहुसंख्यक मेइती और आदिवासी कुकी के बीच मई 2023 में जातीय संघर्ष देखा गया था। लगभग 260 लोगों की मौत, सैकड़ों के घायल होने और हजारों लोगों के विस्थापन के बाद भी पूर्वोत्तर राज्य में शांति नहीं आ पा रही है।

केंद्र सरकार ने संघर्षरत समुदायों को बातचीत की मेज पर लाने के प्रयास किए हैं, फिर भी वहां छिटपुट हिंसा जारी है। इस हिंसा से वरिष्ठ राजनेता भी अछूते नहीं हैं। नवंबर में इंफाल घाटी के विभिन्न जिलों में भीड़ ने कई भाजपा विधायकों, जिनमें से एक वरिष्ठ मंत्री हैं, और एक कांग्रेस विधायक के आवासों में आग लगा दी तथा मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के पैतृक घर पर धावा बोलने का भी प्रयास किया।

राज्य की नाजुक स्थिति को देखते हुए केंद्र ने नवंबर में हिंसा प्रभावित जिरीबाम सहित मणिपुर के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) को फिर से लागू कर दिया।

केंद्र ने 24 दिसंबर को पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का नया राज्यपाल नियुक्त किया, जो स्पष्ट रूप से राज्य में स्थायी शांति स्थापित करने में मदद करने का प्रयास था।

पिछले महीने गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि कोई भी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) जो विकास विरोधी गतिविधियों, धर्मांतरण, दुर्भावनापूर्ण इरादे से विरोध प्रदर्शन भड़काने, आतंकवादी या कट्टरपंथी संगठनों से संबंध रखने में शामिल है, उसका विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (एफसीआरए) पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।

 

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