बजाज फाइनेंस के साथ क्रेडिट कार्ड समझौता खत्म करना कोई बड़ी बात नहीं: आरबीएल बैंक

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मुंबई, एक दिसंबर (भाषा) बजाज फाइनेंस के साथ वर्षों पुराने क्रेडिट कार्ड वितरण समझौते को खत्म करने के बाद निजी क्षेत्र के आरबीएल बैंक को उत्पाद की नई बिक्री की गति पर लौटने में एक तिमाही का समय लग सकता है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह अनुमान जताया है।

बैंक के कारोबार प्रमुख बिक्रम यादव ने पीटीआई-भाषा से कहा कि निजी क्षेत्र के इस ऋणदाता ने पिछले 18 महीनों से गैर-बैंकिंग ऋणदाता पर अपनी निर्भरता कम कर दी है, लेकिन साझेदारी के तहत एक लाख से अधिक कार्डों में से लगभग 30 प्रतिशत सह-ब्रांडेड कार्ड हैं।

यादव ने कहा कि यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब क्रेडिट कार्ड के मोर्चे पर समग्र माहौल असुरक्षित ऋण को लेकर चिंताओं के कारण थोड़ा सतर्क है।

उन्होंने कहा कि बैंक को नए कार्ड की बिक्री की सामान्य गति पर वापस आने में लगभग एक तिमाही का समय लगेगा।

यादव ने कहा, “अप्रैल से हम फिर उसी अनुपात पर आ जाएंगे।”

उन्होंने कहा कि आय सृजन के दृष्टिकोण से गठजोड़ का अंत तटस्थ रहेगा।

उन्होंने कहा कि बैंक द्वारा बेचे जाने वाले कार्डों में से लगभग आधे कार्ड उसके अपने वितरण इंजन के माध्यम से प्राप्त किए जाते हैं, जहां पिछले 18 महीनों में इसने इस कार्य के लिए 3,000 समर्पित कर्मचारियों को नियुक्त किया है।

उन्होंने कहा कि गठजोड़ समाप्त करने से क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो की गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं आएगा। उन्होंने बताया कि सह-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड पेशकश के तहत भी परिसंपत्ति का चयन बैंक के हाथ में था।

इसके रणनीति प्रमुख जयदीप अय्यर ने कहा कि अब से ध्यान बैंक की पेशकशों से 54 लाख क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को अधिक उत्पाद बेचने पर होगा।

उन्होंने कहा कि क्रेडिट कार्ड आधार में बजाज फाइनेंस द्वारा वितरित सह-ब्रांडेड पेशकश वाले 34 लाख ग्राहक शामिल हैं। ये प्रति माह 10,000 करोड़ रुपये तक खर्च करते हैं और बैंक दोपहिया ऋण, स्वर्ण ऋण, वाहन ऋण और गृह ऋण जैसी अन्य पेशकशों के लिए भी इसी आधार का उपयोग करना चाहेगा।

अय्यर ने कहा कि करीब 18 महीने पहले जब बजाज फाइनेंस अपने चरम पर था, तो वह बैंक द्वारा एक महीने में बेचे जाने वाले कार्डों का 80 प्रतिशत तक वितरित कर रहा था, जो अब घटकर 30 प्रतिशत रह गया है।

अय्यर ने कहा, “हमने अब वितरण क्षमता बढ़ा ली है, जिससे बजाज फाइनेंस के साथ साझेदारी का अंत अब कोई बड़ी बात नहीं रह गई है।”