रक्त में शक्कर की मात्रा अधिक होने को मधुमेह की बीमारी के नाम से जाना जाता है। यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। नवजात शिशु से लेकर वृद्ध उम्र तक किसी भी समय इस बीमारी की शुरूआत हो सकती है। रक्त में शक्कर की मात्रा नियन्त्रित करने के लिए खुराक में परहेज के अलावा यदि वजन ज्यादा है तो कम करना, नियमित व्यायाम, समय से भोजन करना एवं जीवन शैली को नियमित करना प्रथम चरण है।
यदि इन सब प्रयासों के बावजूद शक्कर की मात्रा अधिक है तो दवाओं की आवश्यकता है जोकि मरीज की उम्र, मधुमेह का प्रकार एवं खून में शक्कर की मात्रा के अनुसार चिकित्सक निर्धारित करता है जैसे कि मुख से लेने वाली दवा या इंसुलिन खून में शक्कर की मात्रा को सही स्तर पर नियन्त्रित करने की आवश्यकता अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है जिससे इस बीमारी से होने वाले कम समय एवं दीर्घकालीन नुकसानों से बचा जा सके जिसमें शरीर के कई महत्त्वपूर्ण अंगों पर असर आता है।
खून में शक्कर की मात्रा कम होने के विभिन्न कारणों, उनके लक्षण एवं उपचार की अब विस्तार से व्याख्या इस लेख में आगे की जायेगी। खाली पेट की स्थिति में खून में शक्कर का स्तर अधिकतम् 108 मिलीग्राम एवं न्यूनतम 60 मिलीग्राम एवं भोजन के 2 घंटे बाद अधिकतम 126 मिली ग्राम होती है। खून में शक्कर कम होने की स्थिति किसी भी मरीज की हो सकती है। अधिकांशतः यह इंसुलिन लेने वाले मरीजों को होती है परन्तु गोली लेने वाले मरीजों को भी होती है। खाने के बाद खून में शक्कर की मात्रा आदर्श स्तर पर रखने में संभावना अधिक हो जाती है इसलिए यह स्तर 140-150 मिलीग्राम तक रखना चाहिए।
इसके विभिन्न कारण निम्न तालिका में दिये गये हैं –
तालिका 1
1. भोजन की मात्रा नियमित से कम करना।
2. समय पर भोजन नहीं कर पाना या भोजन बिलकुल नहीं लेना।
3. अनियमित व्यायाम एवं शारीरिक मेहनत करना।
4. दवा गलत मात्रा में खाना या गलत तरीके से लेना।
5. मदिरापान करना।
6. साथ में अन्य दवाएं लेना।
7. कोई और बीमारी होना जैसे बहुत अधिक उल्टी या दस्त होना।
8. शक्कर कम होने के लक्षणों को अनदेखा करना या ज्ञान ना होना।
9. शक्कर की बीमारी के कारण आंतों का कम काम करना एवं भोजन का उचित हजम न होना।
खून में शक्कर कम होने के कारण व लक्षण –
यदि इस स्थिति में लक्षणों की सही जानकारी मरीज को हो तो वह शुरू में ही इन्हें पहचान सकता है एवं स्वयं उपचार कर गंभीर खतरों से बच सकता है। मरीज को इन सब लक्षणों की, जो तालिका 2 में दिये गये हैं, भली भांति जानकारी होनी चाहिए एवं उसे अपने हित में इनका ध्यान रखना चाहिए।
तालिका – 2
1. पसीना आना।
2. भूख लगना।
3. हाथ पैरों का कांपना।
4. नाड़ी तेज गति से चलना।
5 दिल की धड़कन का बढ़ना।
6. घबराहट एवं उत्सुकता।
7. सिरदर्द, थकान, कमजोरी।
8. जी मिचलाना, उल्टी होना।
9. चक्कर आना।
10. आवाज लड़खड़ाना।
11. शरीर का संतुलन न कर पाना।
12 दिमाग का संतुलन कम होना।
13. गफलत।
14. आंखों की रोशनी में फर्क आना।
15. रक्तचाप।
16. दौरा पड़ना, बेहोशी आना।
रोगी को इन सब का ज्ञान हो, इसके अलावा यह भी आवश्यक है कि रोगी के परिजनों को, नजदीकी मित्रों एवं साथियों को भी यह पता होना चाहिए क्योंकि रात्रि में या अन्यथा सोते में अचानक ज्यादा पसीना आना भी एक लक्षण है जो अक्सर रोगी को पता नहीं रहता है। यदि शक्कर की मात्रा बहुत कम हो जाती है तो उस स्थिति में मरीज की सोते में ही मृत्यु हो सकती है। इसके अलावा मरीज से गहन पूछताछ करने पर भी निम्न लक्षणों से सोते में होने वाली स्थिति का पता लगाया जा सकता है। (1) सुबह उठने पर सिरदर्द (2) शरीर में थकान होना (3) रात्रि में स्वप्न अधिक आना (4) नींद ठीक से न आना आदि।
खून में शक्कर कम होने के परिणाम मामूली से काफी गंभीर तक होते हैं। (तालिका-3)। किस स्तर पर इनका अहसास होता है यह प्रत्येक रोगी के साथ-साथ अलग-अलग है। आमतौर पर 50 या 60 एमजी इससे कम होने पर लक्षण की शुरूआत होती है। परिणाम की गंभीरता इस पर भी निर्भर करती है कि शक्कर की मात्रा कितनी कम हुई और कितनी देर बनी रही, इसलिए लक्षण की शीघ्र पहचान एवं शीघ्र इलाज आवश्यक है।
तालिका-3
परिणाम
1. मिर्गी का दौरा पड़ना।
2. दिमाग में स्थायी रूप से कमी आना।
3. लकवा का दौरा।
4. दिल की बीमारी-एन्जाइना।
5. अनियमित दिल की धड़कन।
6. आंखों में खून आना या नजर में फर्क आना।
7. दुर्घटना होना, यदि वाहन चलाते समय शक्कर कम हो जाये।
8. अचानक मृत्यु, यदि सोते में शक्कर की मात्रा कम हो जाये।
उपचार
इलाज मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि रोगी होश में है व मुंह से कुछ ले सकता है तो शीघ्र ही चीनी, ग्लूकोज या मिठाई खिलानी चाहिए। यदि रोगी कुछ ले सकने में असमर्थ है या बेहोश है तब उसे नस के जरिए ग्लूकोज दिया जाता है। उचित तो यही है कि रोगी को किसी अस्पताल में रखा जाये।
जैसे ही मरीज की स्थिति में सुधार होता है, उसे मुंह से ग्लूकोज या चीनी को पानी में मिला कर देना शुरू करें। इंसके बाद अगली दवा की मात्रा नहीं दें व उसके आगे दवा की मात्रा 25 प्रतिशत कम करके दें एवं चिकित्सक से परामर्श कर शक्कर कम होने की वजह पता लगाने का प्रयास करें जिससे दुबारा इससे बचा जा सके।