चेन्नई, तीन दिसंबर (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने मंगलवार को घोषणा की कि चक्रवात फेंगल से प्रभावित विल्लुपुरम, कुड्डालोर और कल्लाकुरिची जिलों के परिवारों को 2,000-2,000 रुपये की राहत दी जाएगी।
राज्य में बारिश के कारण हुए नुकसान का आकलन करने के लिए यहां सचिवालय में आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि विल्लुपुरम, कुड्डालोर और कल्लाकुरिची जिलों में भारी बारिश के कारण जिन परिवारों की आजीविका प्रभावित हुई है, उन्हें परिवार राशन कार्ड के आधार पर 2,000 रुपये की राहत राशि प्रदान की जाए। इन जिलों में दो दिन से ज्यादा समय तक जबर्दस्त बारिश हुई।
बैठक में विल्लुपुरम, कल्लाकुरिची, तिरुवन्नमलई, कुड्डालोर, धर्मपुरी और कृष्णगिरि जिलों में बारिश से प्रभावित लोगों को राहत सहायता देने और चक्रवात या बाढ़ के कारण अपने परिजनों को गंवाने वाले परिवारों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया गया।
सरकार ने क्षतिग्रस्त झुग्गी के लिए 10,000 रुपये का मुआवजा देने, पूरी तरह से क्षतिग्रस्त झुग्गी के लिए कलैगनार कनवु इल्लम (आवास योजना) के तहत मकान बनाने को प्राथमिकता देने, किसानों को सिंचित फसलों सहित बारिश से क्षतिग्रस्त धान की फसलों के लिए 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर राहत प्रदान करने और क्षतिग्रस्त बारहमासी फसलों और पेड़ों के लिए 22,500 रुपये प्रति हेक्टेयर राहत प्रदान करने का फैसला किया है।
बारिश से क्षतिग्रस्त (वर्षा आधारित) फसलों के लिए प्रति हेक्टेयर 8,500 रुपये, बैलों और गायों सहित मवेशियों की क्षति के लिए 37,500 रुपये, बकरियों और भेड़ों की क्षति के लिए 4,000 रुपये और मुर्गियों की क्षति के लिए 100 रुपये की राहत देने का भी फैसला किया गया।
सरकार ने यहां एक विज्ञप्ति में कहा कि बाढ़ के कारण खोए या क्षतिग्रस्त हुए प्रमाणपत्रों, मतदाता पहचान पत्रों और अन्य दस्तावेज जारी करने के लिए बारिश प्रभावित क्षेत्रों में विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे।
प्रभावित छात्रों को बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हुई पाठ्यपुस्तकें और नोटबुक प्रदान की जाएंगी।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने खुद बारिश से हुए नुकसान का आकलन करने और राहत और बहाली कार्यों की निगरानी के लिए चेंगलपट्टू और विल्लुपुरम जिलों का दौरा किया, जबकि उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन और राज्य के मंत्रियों ने राज्य के विभिन्न अन्य जिलों में राहत कार्यों की निगरानी की।