रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पांच वर्षों में अधिग्रहण पर 13 अरब डॉलर खर्च किएः रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पिछले पांच वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार, खुदरा और मीडिया कारोबार में किए गए अधिग्रहणों पर करीब 13 अरब डॉलर खर्च किए हैं। मॉर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज की इन अधिग्रहण योजनाओं के पीछे मकसद तेल और पेट्रोकेमिकल कारोबार से ध्यान को नवीकरणीय ऊर्जा और उपभोक्ता केंद्रित खंड पर देने का रहा है।

पिछले हफ्ते भी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने 375 करोड़ रुपये में कार्किनोस हेल्थकेयर खरीदा जो उसके डायग्नोस्टिक एवं डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल ढांचे में एक और हिस्सा है।

अमेरिकी वित्तीय सेवा कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “पिछले पांच वर्षों में आरआईएल ने 13 अरब डॉलर के अधिग्रहण की घोषणाएं की हैं। इनमें से 14 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा, 48 प्रतिशत प्रौद्योगिकी, मीडिया एवं दूरसंचार (टीएमटी), नौ प्रतिशत खुदरा और इससे भी अधिक अधिग्रहण स्वास्थ्य सेवा में रहे हैं।”

इसमें से छह अरब डॉलर मीडिया और शिक्षा व्यवसाय में कंपनियों और परिसंपत्तियों के अधिग्रहण में और 2.6 अरब डॉलर दूरसंचार और इंटरनेट खंड में लगाए गए।

मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, आरआईएल ने नवीकरणीय ऊर्जा में अधिग्रहण पर 1.7 अरब डॉलर और खुदरा क्षेत्र में 1.14 अरब डॉलर खर्च किए। पिछले पांच वर्षों में आरआईएल का सबसे बड़ा अधिग्रहण स्थानीय केबल टीवी और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं हैथवे केबल और डेटाकॉम लिमिटेड का 98.1 करोड़ डॉलर में खरीदना रहा है।

रिपोर्ट कहती है कि रिलायंस ने नॉर्वे स्थित सौर पैनल विनिर्माता आरईसी सोलर होल्डिंग्स को खरीदने पर 77.1 करोड़ डॉलर और ऑनलाइन डेटाबेस फर्म जस्टडायल को खरीदने के लिए 76.7 करोड़ डॉलर खर्च किए।

पिछले हफ्ते इसने कैंसर इलाज से जुड़ी कार्किनोस हेल्थकेयर में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की। इससे नेटमेड्स और स्ट्रैंड लाइफ साइंस जैसे पिछले निवेशों के बाद डायग्नोस्टिक एवं स्वास्थ्य देखभाल खंड में इसकी मौजूदगी बढ़ गई।

ब्रोकरेज फर्म ने इस अधिग्रहण पर कहा, “आरआईएल का लक्ष्य अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और विशाल वितरण नेटवर्क का लाभ उठाकर अधिक एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली-डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म, टेलीमेडिसिन सेवाएं और उन्नत स्वास्थ्य सेवा वितरण मॉडल बनाना है।”

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