तिरुवनंतपुरम, एक दिसंबर (भाषा) पोप फ्रांसिस ने कहा है कि आज जब हर जगह नफरत बढ़ रही है तो ऐसे समय में श्री नारायण गुरु का सार्वभौमिक मानव एकता का संदेश प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि समाज सुधारक का संदेश ‘‘आज की हमारी दुनिया के लिए प्रासंगिक है, जहां हमें लोगों और देशों के बीच असहिष्णुता तथा नफरत बढ़ने के उदाहरण देखने को मिल रहे हैं।’’
एर्नाकुलम जिले के अलुवा में श्री नारायण गुरु के सर्व-धर्म सम्मेलन के शताब्दी समारोह के अवसर पर शनिवार को वेटिकन में जुटे धर्मगुरुओं और प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए पोप ने यह बात कही।
पोप ने कहा कि आज दुनिया में जो अशांति का माहौल है उसके लिए धर्मों की शिक्षाओं को न अपनाना भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि गुरु ने अपने संदेश के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक जागृति को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। पोप ने कहा कि गुरु ने अपने संदेश में कहा था कि सभी मनुष्य, चाहे उनकी जाति, धर्म और सांस्कृतिक परंपराएं कोई भी हों, एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं।
पोप ने कहा, ‘‘उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी तरह से और किसी भी स्तर पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दुख की बात है कि कई समुदायों और लोगों को नस्ल, रंग, भाषा और धर्म के आधार पर रोजाना भेदभाव तथा तिरस्कार झेलना पड़ रहा है और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। खासकर ऐसा उन लोगों और समुदाय के साथ हो रहा है जो गरीब और कमजोर तबके के हैं।’’
पोप ने कहा, ‘‘धर्मों की महान शिक्षाओं को नहीं अपनाना दुनिया में अशांति के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक है।’’