नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ घटक दलों के बीच तल्ख रिश्तों के बीच कई विपक्षी दल उन्हें उपराष्ट्रपति के पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस देने के बारे में विचार कर रहे हैं।
सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों का कहना है कि यह कदम ‘बहुत जल्द’ उठाया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दलों को नोटिस देने के लिए अगस्त में ही जरूरी संख्या में हस्ताक्षर ले लिए थे, लेकिन वे आगे नहीं बढ़े क्योंकि उन्होंने धनखड़ को ‘‘एक और मौका देने’’ का फैसला किया था, लेकिन सोमवार के उनके आचरण को देखते हुए विपक्ष ने इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अगुवाई कर रही है जबकि तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के अलावा कई अन्य विपक्षी पार्टियां इस कदम का समर्थन कर रही हैं।
संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े तमाम प्रावधान किए गए हैं।
संविधान के अनुच्छेद 67(बी) में कहा गया है: “उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा द्वारा सहमति दी गई हो, के जरिये उसके पद से हटाया जा सकता है। लेकिन कोई प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कि कम से कम चौदह दिनों का नोटिस नहीं दिया गया हो, जिसमें यह बताया गया हो ऐसा प्रस्ताव लाने का इरादा है।’’
राज्यसभा में सोमवार को सत्ता पक्ष एवं विपक्ष ने अलग-अलग मुद्दों पर भारी हंगामा किया जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न करीब तीन बजकर दस मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सदस्यों ने कांग्रेस तथा उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया और इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने अदाणी समूह से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कांग्रेस के कई सदस्यों ने सोमवार को सभापति जगदीप धनखड़ पर राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान ‘पक्षपातपूर्ण रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया।