राज्यसभा में अदाणी सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित
Focus News 2 December 2024नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप, उत्तर प्रदेश के संभल और मणिपुर में हिंसा व कानून व्यवस्था की स्थिति सहित कुछ अन्य मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग खारिज होने के बाद सोमवार को विपक्ष ने राज्यसभा में हंगामा किया, जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की ओर से उच्च सदन के नेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा तथा उत्तर प्रदेश से भाजपा के सदस्य तेजवीर सिंह को जन्मदिन की बधाई दी।
धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद बताया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर नियम 267 के तहत चर्चा के लिए कुल 20 नोटिस मिले हैं लेकिन वह इन्हें स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, अनिल कुमार यादव, रजनी पाटिल, जेबी माथेर हिशाम, अखिलेश प्रसाद सिंह, सैयद नासिर हुसैन और फूलों देवी नेताम के अलावा मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके) के वाइको ने अदाणी समूह के कथित भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और वित्तीय अनियमितताओं सहित अन्य कदाचारों के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे।
समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन और जावेद अली खान, कांग्रेस के नीरज डांगी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के ए ए रहीम ने उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे जबकि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरूचि शिवा और निर्दलीय अजीत कुमार भुयान ने मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए।
धनखड़ ने बताया कि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने दिल्ली में अपराध के बढ़ते मामलों पर चर्चा के लिए नोटिस दिया जबकि उन्हीं की पार्टी के राघव चड्ढा ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और इस्कॉन मंदिर के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था।
सभापति के मुताबिक कांग्रेस के अनिल कुमार यादव, नीरज डांगी और इमरान प्रतापगढ़ी ने अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर पैदा हुए ताजा विवाद पर चर्चा कराने के नोटिस दिए थे।
सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए सभापति ने सदस्यों से आग्रह किया वे उन्हें सूचिबद्ध कामकाज निपटाने में मदद करें।
इसी दौरान, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे कुछ कहने के लिए खड़े हुए लेकिन सभापति ने कहा कि उनकी बात अभी पूरी नहीं हुई है।
सभापति ने इस दौरान सदन में कामकाज न हो पाने को लेकर विपक्षी सदस्यों पर कुछ टिप्पणी की जिसका विरोध करते हुए कांग्रेस सहित कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने आपत्ति जताई।
हंगामे और शोरगुल के बीच सभापति धनखड़ ने सदन की कार्यवाही 11 बजकर 15 मिनट पर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
उन्होंने कहा, ‘‘ये वे दिन थे जो हमें सार्वजनिक हित के लिए समर्पित करने चाहिए थे। हमारे द्वारा ली गई शपथ का पालन करते हुए हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए था। समय का नुकसान, अवसर का नुकसान, और विशेष रूप से प्रश्नकाल का न होना, लोगों के लिए बहुत बड़ा झटका है।’’
संसद के शीतकालीन सत्र का आज छठा दिन है और कार्यदिवस के रूप में पांचवा दिन है। सत्र का आरंभ गत सोमवार को हुआ था और मंगलवार को ‘संविधान दिवस’ समारोह के मद्देनजर दोनों ही सदनों की कार्यवाही को संयुक्त बैठक के रूप में तब्दील कर दिया गया था।
सोमवार से शुरु हुए संसद सत्र में अभी तक कोई खास विधायी कामकाज नहीं हो सका है और पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ गया। एक भी दिन न तो शून्यकाल हुआ और ना ही प्रश्नकाल चल सका। विपक्षी सदस्यों ने इस दौरान अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार और मणिपुर तथा संभल में हिंसा सहित कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस दिए और हर बार सभापति ने इन्हें खारिज कर दिया।
सभापति ने पिछले दिनों सदन में बताया था कि विगत 36 वर्षों में नियम 267 को केवल छह अवसरों पर ही अनुमति दी गई है और केवल असाधारण परिस्थितियों में ही इसकी अनुमति दी जा सकती है।
नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है। नियम 267 के तहत कोई भी चर्चा संसद में इसलिए बहुत महत्व रखती है क्योंकि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर चर्चा के लिए अन्य सभी कामों को रोक दिया जाता है।
अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो यह दर्शाता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है।
राज्यसभा की नियम पुस्तिका में कहा गया है, ‘‘कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव कर सकता है। वह प्रस्ताव ला सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध एजेंडे को निलंबित किया जाए। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है।’’