एमयूडीए मामला: लोकायुक्त पुलिस को भेजा गया ईडी का पत्र राजनीति से प्रेरित है: सिद्धरमैया

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मांडया (कर्नाटक), चार दिसंबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को मैसुरु शहर विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले के संबंध में राज्य लोकायुक्त पुलिस को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हाल में भेजे गए पत्र को ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ बताया और कहा कि यह पत्र उन्हें और अदालत को प्रभावित करने के इरादे से भेजा गया है।

उन्होंने कहा कि ईडी के पास मामले की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है।

ईडी को एमयूडीए द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी बीएम पार्वती को 14 भूखंडों को आवंटित करने के मामले में कई अनियमितताओं के सबूत मिले हैं। केंद्रीय एजेंसी ने मंगलवार को यह जानकारी दी थी।

उन्होंने लोकायुक्त को ईडी के पत्र पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह राजनीति से प्रेरित है। कल एकल पीठ के आदेश के खिलाफ हमारी रिट अपील (उच्च न्यायालय में खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए) आने वाली है, यदि उन्होंने इसके ठीक पहले ऐसा किया है, तो इसका क्या मतलब है? सबसे पहले तो उसके पास (ईडी) जांच करने का कोई अधिकार नहीं है, वे कानूनी तौर पर ऐसा नहीं कर सकते। दूसरे, उसने अदालत को प्रभावित करने के लिए ऐसा किया है।’’

मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘लोकायुक्त जांच कर रहे हैं और उन्हें रिपोर्ट सौंपनी होगी। यह उन्हें प्रभावित करने और उनके प्रति पूर्वाग्रह रखने के लिए किया गया है। यह राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है।’’

संघीय एजेंसी ने हाल में कर्नाटक लोकायुक्त विभाग को भेजे गए एक पत्र में यह भी दावा किया था कि उसकी जांच में यह भी पता चला है कि एमयूडीए ने बेनामी और अन्य ऐसे लेनदेन में कुल 1,095 भूखंडों को “अवैध रूप से” आवंटित किया है।

‘पीटीआई-भाषा’ द्वारा देखी गई जांच रिपोर्ट और आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्वती मामले के साथ ही एमयूडीए में कथित अवैध गतिविधियां समाप्त नहीं हुईं, बल्कि कुल 1,095 भूखंड अवैध रूप से आवंटित किए गए हैं जिनका बाजार मूल्य 700 करोड़ रुपये है।

मुख्यमंत्री ने दोहराया कि ईडी के पास मामले की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन फिर भी वे जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल ने जांच करने को कहा था, जिला न्यायालय (विशेष न्यायालय) ने लोकायुक्त पुलिस को जांच कर 24 दिसंबर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा था। वे (लोकायुक्त पुलिस) जांच कर रहे हैं, लेकिन वे (ईडी) पत्र क्यों लिख रहे हैं? उनका इरादा क्या है? क्या यह जानबूझकर नहीं किया गया है?’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें (मामले में) कोई सच्चाई नहीं है। वे (ईडी) मामले की जांच कर रहे हैं, उन्हें स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट देनी चाहिए? उन्होंने (लोकायुक्त को) पत्र क्यों लिखा है? वे जानकारी साझा कर सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे पत्र लिखें और इसे मीडिया को जारी कर दें।’’

उन्होंने कहा कि इरादा ‘‘पूरी तरह से, सौ फीसदी राजनीतिक है’’।

इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उनकी पत्नी पार्वती बी. एम., उनके रिश्तेदार मल्लिकार्जुन स्वामी और अन्य आरोपी हैं।

एमयूडीए मामले में आरोप है कि सिद्धरमैया की पत्नी से अधिगृहित जमीन के बदले उन्हें मैसुरु के एक रिहायशी इलाके में भूखंड आवंटित किया गया था, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था।

एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50 : 50 योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां आवासीय ‘लेआउट’ विकसित किया गया था।

इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने आवासीय ‘लेआउट’ बनाने के लिए भूमि खोने वालों को उनसे अधिगृहित अविकसित भूमि के बदले में 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की।