देश में प्रदूषण से दिल्ली समेत अनेक शहरों की हवा विषैली हो गयी है जो बीमारियां फैला रही हैं इससे स्वयं बचाव करना अब आवश्यक हो गया है. हवा में विषैली गैसों की मात्रा बढ़ने से लोगों को सांस लेने में अड़चन होने के साथ-साथ आंखों में जलन की भी शिकायत सामने आ रही है।
ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से दिल और सांस की बीमारी ही नहीं बल्कि ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण की वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा दरअसल, प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। वायु में धूल के कणों की वजह से सांस की नली संकरी हो जाती है। नली संकरी होने से शरीर में आक्सीजन की कमी हो जाती है।
आक्सीजन की कमी
आक्सीजन न मिलने के कारण खून की धमनियां फट जाती हैं जिससे दिमाग में खून की सप्लाई बंद हो जाती है। खून की सप्लाई बंद होने से थक्के जमने शुरू हो जाते है जिससे ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा काम का तनाव, हाई ब्लड प्रेशर और स्मोकिंग भी ब्रेन स्ट्रोक का एक कारण है।
हर अंग पर हो रहा वार
प्रदूषण के बढ़ते लेवल से न केवल आंतरिक अंगों पर असर पड़ता है बल्कि बाहरी भाग भी प्रभावित होते हैं। प्रदूषण सांस के जरिए बाडी के अंदर पहुंच रहा है। इसकी वजह से लंग्स इंफेक्शन, अस्थमा, सांस की दिक्कतें, लोअर ट्रैक इंफेक्शन, हार्ट डिजीज, ब्रेन स्ट्रोक तो होते ही हैं, आंखों में जलन, स्किन ऐलर्जी, इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी, बाल झड़ने की समस्या भी हो सकती है।
सुबह का व्यायाम हुआ खतरनाक
सुबह के समय व्यायाम करना स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक लाभदायक माना जाता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण के चलते अब सुबह के समय व्यायाम करना स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक घातक बन चुका है। सुबह और शाम के समय प्रदूषण का स्तर सबसे खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, नतीजतन, इस दौरान खुली जगह पर व्यायाम करने वाले लोगों को कई तरह की बीमारियां अपना शिकार बना सकती हैं। वास्तव में बढ़ते प्रदूषण के चलते ये परेशानियां होना आम बात है।
स्माग अर्थात धुएं और धुंध का मिश्रण
जब कम तापमान और कोहरा मिलकर वातावरण में कंबल की तरह प्रदूषण की एक परत तैयार करते हैं। इस परत पर धूलकण इकट्ठे हो जाते हैं और वापस वातावरण में घूमते रहते हैं। प्रदूषण के बीच इन दिनों स्माग शब्द भी बहुत चर्चा में है। स्माग दो शब्दों से मिलकर बना एक शब्द है। इसका मतलब है धुएं और धुंध का मिश्रण।
प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के लक्षण
-जुकाम होना।
-सांस लेने में अड़चन।
-आंखों में जलन।
-खांसी, टीबी और गले में संक्रमण।
-साइनस, अस्थमा।
-फेफड़ों से सम्बंधित बीमारियां।
वायु प्रदूषण से बचाव
-घर से बाहर निकलते वक्त हमेशा मुंह पर मास्क का उपयोग करें। इसके अलावा आंखों पर चश्मा भी लगाएं। ध्यान रखें चेहरे पर लगे मास्क को बार-बार छूना नहीं चाहिए।
-एक मास्क को एक बार ही प्रयोग करें। एक ही मास्क का प्रयोग बार-बार करके आप वायरस और कई तरह के संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया की चपेट में आ सकते हैं।
-घर के बाहर की सड़क को गीला करके रखें ताकि धूल के दूषित कण हवा में न पाएं। इसके अलावा घर पर भी साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें।
-घर से बाहर तभी बाहर टहलने के लिए निकलें जब पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर कम हो।
आहार
-खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ जरूर खाएं। गुड़ खून साफ करता है। इससे आप प्रदूषण से बचे रहेंगे।
-फेफड़ों को धूल के कणों से बचाने के लिए आप रोजाना एक गिलास गर्म दूध जरूर पियें।
– अदरक का रस और सरसों का तेल नाक में बूंद-बूंद कर डालने से भी आप हानिकारक धूल कणों से भी बचे रहेंगे।
– खुद को प्रदूषण के प्रभाव से बचाने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें।
कुछ आयुर्वेदिक उपाय
-शहद में काली मिर्च मिलाकर खाएं। आपके फेफड़े में जमी कफ और गंदगी बाहर निकल जाएगी।
-अजवायन की पत्तियों का पानी पीने से भी व्यक्ति का खून साफ होने के साथ शरीर के भीतर मौजूद दूषित तत्व बाहर निकल जाते हैं।
-तुलसी प्रदूषण से आपकी रक्षा करती है, इसलिए रोजाना तुलसी के पत्तों का पानी पीने से आप स्वस्थ बने रहेंगे।
-ठंडे पानी की जगह गुनगुने पानी का सेवन करना शुरू कर दें।