होंडा, निसान के विलय से भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने, बेहतर उत्पादों की उम्मीद

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नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) दिग्गज वाहन विनिर्माताओं होंडा और निसान की विलय योजना का वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ने की संभावनाओं के बीच भारतीय बाजार में भी इलेक्ट्रॉनिक वाहन खंड में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की उम्मीद है। यह भविष्य में बेहतर उत्पादों के रूप में वाहन खरीदारों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

वाहन उद्योग के जानकारों का मानना है कि दोनों जापानी कंपनियों का आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक वाहन (ईवी) खंड पर विशेष जोर रहने की उम्मीद है। तेजी से बढ़ते इस खंड में दोनों कंपनियों की साझेदारी भारत समेत तमाम वाहन बाजारों पर गहरा असर डाल सकती है।

होंडा और निसान के शीर्ष अधिकारियों ने बीते हफ्ते विलय योजना से संबंधित समझौता ज्ञापन की घोषणा की तो इसे भारतीय वाहन बाजार में भी काफी उत्सुकता से देखा गया। इसकी वजह यह है कि दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते वाहन बाजारों में से एक भारत में ये दोनों कंपनियां मुश्किल दौर से गुजर रही हैं।

हालांकि होंडा भारतीय बाजार में 1990 के दशक से ही मौजूद है जबकि निसान को भी यहां कदम रखे हुए करीब 20 साल हो चुके हैं। इतने लंबे समय से मौजूद रहने के बावजूद ये कंपनियां भारतीय बाजार में अपनी पैठ मजबूत कर पाने में खास कामयाब नहीं हो पाई हैं।

दोनों कंपनियों के पोर्टफोलियो में भारतीय बाजार में बहुत सीमित उत्पाद हैं। होंडा के पास सिटी, अमेज, एलिवेट और होंडा हाइब्रिड जैसे मॉडल हैं तो निसान मैग्नाइट और एक्स-ट्रेल मॉडलों के दम पर अपना वजूद बनाए हुए है।

इन कंपनियों को भारत में पहले से स्थापित कंपनियों से तगड़ी चुनौती मिल रही है। ऐसे में इनकी बिक्री घटती जा रही है और बाजार हिस्सेदारी भी बहुत सीमित हो चुकी है।

हालत यह है कि करीब 40 लाख वाहनों की सालाना बिक्री वाले भारतीय यात्री वाहन बाजार में होंडा की हिस्सेदारी दो प्रतिशत से भी कम है जबकि निसान के मामले में यह आंकड़ा एक प्रतिशत से भी कम रह गया है। मौजूद दौर में तेजी से बढ़ रहे ईवी खंड में भी इनकी हिस्सेदारी नगण्य है।

इस विलय योजना और भारतीय बाजार पर इसके असर को लेकर होंडा कार्स इंडिया और निसान मोटर इंडिया दोनों ने ही कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन वाहन उद्योग के जानकारों का मानना है कि निसान मोटर्स को ईवी खंड में हासिल महारत इस गठजोड़ के लिए पासा पलटने में मददगार हो सकती है।

विलय योजना में आने वाले वर्षों में ईवी उद्योग की संभावित वृद्धि पर खास जोर दिया गया है। इसमें विभिन्न उत्पाद खंडों में दोनों कंपनियों के लिए वाहनों को मानकीकृत करने का प्रावधान है। इससे होंडा को भविष्य के पूर्ण-इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड वाहनों के लिए निसान के प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में मदद मिलेगी।

उद्योग जगत का मानना है कि ईवी खंड को मिल रहे सरकारी समर्थन और इसके लिए जरूरी बुनियादी संरचना पर बढ़ रहे निवेश को देखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों का जोर रहने वाला है। ऐसे में निसान और होंडा का एक साथ आना भारतीय बाजार के लिहाज से भी नई संभावनाएं पैदा कर सकता है।

होंडा और निसान के विलय से न सिर्फ भारतीय बाजार में एक मजबूत कंपनी खड़ी होगी बल्कि प्रतिस्पर्धी माहौल के चलते यह ग्राहकों के नजरिये से भी फायदेमंद होगा। उन्नत प्रौद्योगिकी से लैस वाहनों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पेश करने का दबाव ग्राहकों के हित में जा सकता है।

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