संभाले रखिए विश्वास की डोर

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 हम हमारे जीवन में विश्वास को साख़, ऐतबार, भरोसा ,यकीन आदि जैसे शब्दों के रूप में जानते हैं । विश्वास एक कीमती भाव है जो बहुत कठिन तपस्या के उपरान्त प्राप्त होता है इसमें हर व्यक्ति दक्ष हो यह संभव ही नहीं है , ये विश्वास की ही क्षमता है जिसके दम पर हम संसार को जीतने तक की क्षमता रखते हैं जबकि हमारा विश्वास करना अपने ऊपर या किसी के ऊपर वास्तव में हमारे रब के प्रति आस्था का ही प्रतीक है । यह एक ऐसी मजबूत डोर है जो हमारे मन में उत्साह के भाव का संचार करती है। विश्वास वह यकीन है जो हमें  सकारात्मकता का बोध कराता है । हमारे जीवन में जो कुछ अच्छा या बुरा होता है हमारे रब की मर्ज़ी से ही होता है और एक वही है जो हमारी सारी परेशानियों को दूर करने की क्षमता रखता है, यह विश्वास ही हमें हमारी परेशानियों से और हमारे दुखों से लडऩे की क्षमता प्रदान करता है । ये वास्तविकता है कि हम में से किसी को भी पता नहीं होता है कि आने वाला हमारा समय कैसा होगा ? हमारे जीवन में क्या घटित होने वाला है? किसी को पता नहीं फिर भी हमारा विश्वास हमें हमेशा जीवन में आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा प्रदान करता है । और हम इसी विश्वास की डोर को थामे आगे बढ़ते चले जाते हैं और जीवन को जीते हैं । ये हमारा विश्वास ही तो होता कि हमारे जीवन में अच्छा या बुरा सब हमारे रब या परमात्मा की इच्छा से होता है यह विश्वास ही हमें हमारे हर दुख से उभरने की हमें ताकत प्रदान करता है । इसमें कोई दो राय नहीं है  कि विश्वास हमारे जीवन का आधार है। इसके अभाव में हमारा जीवन संभव नहीं हो सकता है । दूसरे पर विश्वास करना एक मुश्किल कार्य है और कोई तो अन्य पर क्या स्वयं पर भी विश्वास नहीं करते । यह भी जीवन की कड़वी वास्तविकता है कि हमारे जीवन में कुछ भी निश्चित नहीं है ,बहरहाल प्रेम का दूसरा रूप ही विश्वास होता है, विश्वास एक आशा है जो हमें अपने परमात्मा पर यकीन करना सिखाती है । विश्वास की ताकत बड़े से बड़े कार्य को भी बड़ी सरलता के साथ करवा देती हैं जबकि इसके अभाव में छोटा सा काम भी संभव नहीं होता । बहरहाल इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं कि विश्वास हमारे जीवन का आधार है इसके भाव में हमारा जीवन कभी भी सहज नहीं हो सकता, कहते हैं कि विश्वास स्वयं पर या दूसरे पर करना एक मुश्किल कार्य है ।
विश्वास को समझे
 * विश्वास एक सीमा तक ठीक रहता है सीमा से बाहर विश्वास अंधविश्वास में परिवर्तित हो जाता है जो सदैव हानिकारक होता है।
* हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम विश्वास की गरिमा को सदैव बनाए रखें।
 * स्वयं पर विश्वास करें क्योंकि ये विश्वास ही आपमें आत्मविश्वास का संचार करता है ।
* विश्वास हमें संघर्ष की अवस्था में भी ताक़त देता है।
* विश्वास धर्म का आधार है
* समाज में विश्वसनीय लोगों को सदैव सम्मानीय दृष्टि से देखा जाता है।
 * विश्वास वो ताकत है जो बड़े से बड़े कार्य को भी बहुत सरलता से करवाने की क्षमता रखता है।
* विश्लास का धागा कच्चा होता है और एक बार टूटने पर ये धागा कभी पुन: नहीं जुड़ता ।
* विश्वास को जीतना और हार जाना आपकी सोच पर निर्भर करता है कि आप  किसको जीते हैं ।
* संबंधों में सदैव विश्वास को बनाए रखें, उसे विषम परिस्थितियों में भी टूटने न दें ।
* विश्वास कमाने में जहां वर्षों लग जाते हैं वहां इसे टूटने में क्षण नहीं लगता।
* विश्वास हमारे अंदर आत्मविश्वास का संचार करता है।

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