गोरखपुर (उप्र), आठ दिसंबर (भाषा) गोरखपुर सितंबर 2025 तक देश का पहला एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन तथा अध्ययन केंद्र वाला शहर बनेगा। सहजांवा के सुथनी गांव में 40 एकड़ में स्थापित की जाने वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना का लक्ष्य गोरखपुर को कचरा मुक्त शहर बनाना और टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करना है।
नगर आयुक्त गौरव सोगरवाल ने कहा कि यह एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन न केवल विभिन्न तरह के कचरे का प्रसंस्करण करेगा, बल्कि चारकोल और बायो-सीएनजी का भी उत्पादन करेगा जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और राजस्व बढ़ेगा।
सोगरवाल ने बताया कि उन्होंने इस अनूठे मॉडल को विशाखापत्तनम और दिल्ली में पेश किया और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 13 से 15 दिसंबर तक दिल्ली में आयोजित होने वाले मुख्य सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन में इसे प्रदर्शित किया जाएगा।
सोगरवाल ने बताया कि यह एकीकृत केंद्र बायोमेडिकल, ई-कचरा, बैटरी, टायर, टेराकोटा, वाहनों के कबाड़, घरेलू खतरनाक वस्तुओं, औद्योगिक एवं जैविक कचरे का प्रसंस्करण करेगा। साथ ही यह एक अध्ययन केंद्र के तौर पर भी काम करेगा और तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध कराएगा।
उन्होंने बताया कि तीन एकीकृत संयंत्र स्थापित करने की योजना है जिसमें सूखे कचरे के संयंत्र की क्षमता 500 टन प्रतिदिन की होगी और यह चारकोल का उत्पादन करेगा। तीन सौ करोड़ रुपये के निवेश वाली इस परियोजना के लिए एनटीपीसी के साथ समझौता ज्ञापन से राजस्व सृजन और रोजगार के अवसर सुनिश्चित होंगे।
सोगरवाल ने बताया कि गीले कचरे के संयंत्र की क्षमता 200 टन प्रतिदिन की होगी जो बायो-सीएनजी का उत्पादन करेगा जबकि खतरनाक कचरा संयंत्र, पर्यावरण अनुकूल पद्धतियों का उपयोग कर घरेलू खतरनाक कचरों का प्रसंस्करण करेगा।
यह परियोजना ना केवल गोरखपुर के कचरे का प्रबंधन करेगी, बल्कि आठ पड़ोसी शहरी नगर निकायों की जरूरतें भी पूरी करेगी।