मानव जीवन में मक्खियां ही ऐसी जीव हैं जो हमेशा हमारे आस-पास रहती हैं। मानव जगत की कुछ बीमारियां का कारण भी ये मक्खियां ही हैं। मक्खियों की प्रजातियां बहुत तीव्र गति से बढ़ती हैं। अन्य कुछ जीवों की भांति मक्खियां भी अंडे देती हैं जो इनके प्रजनन की प्रथम अवस्था है। इसके बाद अंडे लार्वा में परिवर्तित होते हैं। तीसरे चरण में मक्खियों का यह रूप प्यूपा कहलाता है। इस तरह मक्खियां का प्रजनन इन तीन प्रक्रियाओं से होकर पूर्ण मक्खी का निर्माण होता है। इन मक्खियों की कुल आयु एक वर्ष तक होती है। मक्खियां जब अपनी लार्वा की अवस्था में होती है तभी से वे भोजन लेना प्रारंभ कर देती है। इनका भोजन होता है सड़े गले पदार्थ। लार्वा अक्सर ईटों या मिट्टी के बीच से निकलता है क्योंकि मक्खियां अक्सर अपने अंडे इन्हीं जगहों पर देती हैं। मक्खियों से मानव जाति को सिर्फ हानि ही होती है। ये सड़े-गले पदार्थों से गंदगी, खाने के पदार्थों तक पहुंचा देती हैं और खाने के इन पदार्थों को अगर हम हिफाजत से नहीं रखेंगे तो हमें कई प्रकार की बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है। मक्खियों से प्राप्त कीटाणुओं के भोज्य पदार्थों में होने से यदि हम इनका सेवन कर लें तो हैजा जैसी जानलेवा बीमारी भी हमें हो सकती है। इस तरह मक्खियां दिखती तो प्यारी हैं लेकिन इन मक्खियों से दूर रहना ही हमारे लिए लाभप्रद है।