परभणी हिंसा और सरपंच की हत्या के मामले की न्यायिक जांच की जाएगी: फडणवीस
Focus News 20 December 2024 0नागपुर, 20 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि परभणी हिंसा और बीड जिले के एक गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के मामले की न्यायिक जांच की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार देशमुख और सोमनाथ सूर्यवंशी के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। संविधान की प्रतिकृति के कथित अपमान को लेकर परभणी में हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तारी के बाद सूर्यवंशी की मौत हो गई थी।
बीड के पुलिस अधीक्षक के स्थानांतरण की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस कार्रवाई में चूक सामने आई है।
फडणवीस ने कहा कि महानिरीक्षक (आईजी) रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) पहले ही मासाजोग गांव के सरपंच देशमुख के अपहरण और हत्या मामले की जांच कर रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा तीन से छह महीने की समयसीमा के साथ एक न्यायिक जांच भी की जाएगी।
उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि बीड में अराजकता फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को राजनीतिक जुड़ाव की परवाह किए बिना दंडित किया जाएगा।
सरपंच की हत्या से जुड़ा विवरण साझा करते हुए फडणवीस ने कहा कि छह दिसंबर को अशोक घुले, सुदर्शन घुले और प्रतीक घुले बीड जिले में एक ऊर्जा परियोजना स्थल पर गए और चौकीदार अमरदीप सोनावणे तथा परियोजना प्रबंधक शिवाजी थोपटे की पिटाई कर दी। उन्होंने कहा कि अशोक, सुदर्शन और प्रतीक पड़ोसी गांव के हैं, इसलिए सरपंच होने के नाते देशमुख को घटना की जानकारी दी गई।
फडणवीस ने सदन को बताया कि नौ दिसंबर को टोल नाके पर एक काली स्कॉर्पियो और दूसरी कार ने देशमुख की गाड़ी रोक ली, उन्हें बाहर निकाला गया और स्कॉर्पियो में डाल दिया गया।
उन्होंने कहा कि देशमुख को कार के अंदर बेरहमी से पीटा गया, बाहर निकाला गया और फिर से पीटा गया।
उन्होंने कहा, “देशमुख की मौत होने के बाद आरोपी भाग गए।”
फडणवीस ने कहा कि देशमुख के भाई विष्णु चाटे नामक व्यक्ति के संपर्क में थे और उससे सरपंच को छोड़ देने की गुहार लगा रहे थे।
मुख्ममंत्री ने कहा कि चाटे बीड जिले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का तहसील प्रमुख था।
उन्होंने बताया कि देशमुख की हत्या से पहले ऊर्जा कंपनी के प्रबंधक थोपटे ने 29 नवंबर को जबरन वसूली की कोशिश का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत में कहा गया है कि वाल्मिक कराड नामक व्यक्ति ने सुनील शिंदे और चाटे से फोन पर बात की, जब वे मासाजोग गांव में कंपनी के कार्यालय में मौजूद थे। कराड ने कंपनी से काम बंद करने की मांग की। उस दिन सुदर्शन घुले भी कार्यालय में आया और कंपनी के अधिकारी से काम बंद करने को कहा।
फडणवीस ने कहा कि इसके बाद परियोजना प्रबंधक थोपटे को परली बुलाया गया, जहां कराड ने उन्हें धमकाया और कहा कि या तो काम बंद कर दो या फिर दो करोड़ रुपये दो।
मुख्यमंत्री ने कहा, “वसूली और हत्या के बीच संबंध की जांच की जा रही है। मैं सदन को आश्वस्त करता हूं कि मामले के सरगना को सजा दिलाई जाएगी। अगर हत्या में वाल्मिक कराड की संलिप्तता साबित होती है, तो कार्रवाई की जाएगी। जबरन वसूली मामले में उसकी संलिप्तता साबित हो चुकी है।”
देशमुख मराठा थे, जबकि चाटे समेत कुछ आरोपी अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। इसकी वजह से घटना ने, खासकर मराठा आरक्षण आंदोलन और ओबीसी द्वारा इसके विरोध की पृष्ठभूमि में जातिगत रूप ले लिया।
फडणवीस ने कहा कि बीड जिले में इन आपराधिक गतिविधियों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सभी लोगों के खिलाफ मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
विपक्षी दलों के नेताओं ने दावा किया है कि कराड बीड जिले के राकांपा के मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगी हैं।
मुख्यमंत्री ने परभणी मामले से जुड़ी जानकारियां भी साझा कीं। फडणवीस ने कहा कि 10 दिसंबर की दोपहर को सोपान पवार नामक व्यक्ति ने परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान की (कांच से ढकी) प्रतिकृति का अपमान किया।
उन्होंने कहा कि पुलिस उस जगह पर पहुंची जहां भीड़ ने वाहनों में तोड़फोड़ की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कलेक्टर को घटनास्थल पर पहुंचकर तनाव कम करने के लिए कहा गया।
अगले दिन परभणी जिले में बंद का आह्वान किया गया, इस दौरान शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हालांकि, 200-300 लोगों ने हिंसा की और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।”
उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल करना पड़ा।
फडणवीस ने कहा कि कुछ महिलाएं कलेक्टर के कार्यालय में घुस गईं और तोड़फोड़ की।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने आगजनी के आरोप में 51 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर 43 लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि महिलाओं और बच्चों को नोटिस देकर छोड़ दिया गया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सोपान पवार मानसिक रूप से अस्थिर है और 2012 से उसका इलाज हो रहा है।
फडणवीस ने बताया कि चार चिकित्सकों ने उसकी जांच की और उसकी समस्याओं का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, “इसमें कोई साजिश की बात नहीं है। उस दिन सुबह बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को उजागर करने के लिए सकल हिंदू समाज मोर्चा निकाला गया था और पांच घंटे बाद ही संविधान की प्रतिकृति से जुड़ी घटना हुई। पवार उस मोर्चे का हिस्सा नहीं था।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों के नेता मौजूद थे इसलिए यह हिंदू बनाम दलित का मामला नहीं है।
फडणवीस ने कहा, “परभणी हिंसा की न्यायिक जांच से सभी संदेह दूर हो जाएंगे।”
हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तारी के बाद सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत के बारे में फडणवीस ने कहा कि उसने मजिस्ट्रेट को बताया था कि पुलिस ने उसे प्रताड़ित नहीं किया।
फडणवीस ने कहा कि मेडिकल जांच में पता चला कि उसके शरीर पर पुरानी चोटें थीं और उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज और सबूतों से साबित होता है कि हिरासत के दौरान सूर्यवंशी पर कोई बल प्रयोग नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा, “हमें आत्मचिंतन करना चाहिए कि क्या अराजकता को बर्दाश्त किया जाना चाहिए। हिंसा में कुल 1.89 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। पुलिस ने कोई तलाशी अभियान नहीं चलाया गया। केवल दंगा करने वालों को पकड़ा।”