नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत शर्तों में ढील दी, जिनके तहत उन्हें दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और धनशोधन मामलों में सप्ताह में दो बार जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना था।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने यह कहते हुए जमानत शर्तों में ढील दी कि उनकी कोई जरूरत नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता नियमित रूप से सुनवाई में हिस्सा लेंगे।
उच्चतम न्यायालय ने 22 नवंबर को सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी तथा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) एवं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी कर उनके जवाब मांगे थे।
नौ अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में सिसोदिया को जमानत दी थी और कहा था कि बिना सुनवाई के 17 महीनों तक सलाखों के पीछे रखने से वह त्वरित सुनवाई के अपने अधिकार से वंचित हो गये।
शीर्ष अदालत ने कुछ जमानत शर्तें लगाई थीं, जिनमें यह भी शामिल था कि आप नेता को हर सोमवार और बृहस्पतिवार को पूर्वाह्न 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के समक्ष पेश होना होगा।
सिसोदिया के वकील ने 22 नवंबर को सुनवाई के दौरान कहा था कि आप नेता सिसोदिया 60 बार जांच अधिकारी के सामने पेश हो चुके हैं।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया को दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाले से संबद्ध भ्रष्टाचार एवं धनशोधन मामलों में सीबीआई और ईडी ने गिरफ्तार किया था।
उन्हें अब रद्द कर दी गई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को बनाने और उसे लागू करने में कथित अनियमितताओं के लिए 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
इसके अगले महीने, नौ मार्च 2023 को ईडी ने उन्हें सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया।
सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने खुद पर लगे आरोपों से इनकार किया है।