नियंत्रण की बहुत महिमा है। इसके बिना न सरकार चलती है और न ही समाज। न कारखाना चलता है और न ही कार। न गाड़ी चलती है और न ही गुंडे। केवल व्यवस्था को व्यवस्थित रखने के लिए ही नहीं अपितु अराजकता को व्यवस्थित ढंग से बनाये रखने के लिए भी नियंत्रण का अपना महत्त्व है।
कहीं दंगा हो जाये तो सरकार के प्रवक्ता स्थिति नियंत्रण में होने की सगर्व घोषणा करते हैं तो दूसरी ओर भुक्तभोगी खुद व्यवस्था के ही नियंत्रण में होने का रोना रोते हैं। अनेक बार जब सबको नियंत्रण में रखने के लिए इस धरा पर अवतरित हुआ मीडिया ही नियंत्राण में आ जाता है तो नियंत्रण शब्द की शास्त्राीय व्याख्या का नजरा देखते ही बनता है। कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने वालों को काबू में करने के लिए बने नियंत्रण की धज्जियां उड़ती नजर आती हैं।
नियंत्रण विज्ञान है या कला, इस पर शब्दकोश मौन हैं लेकिन शब्दकोश के अनुसार नियंत्रण का अर्थ है काबू रखना लेकिन कोई शब्दकोश नहीं बल्कि परिस्थितियां तय करती हे कि कौन किसे काबू में रखेगा। कुछ लोग इसे प्रबन्धन से जोड़ते हैं तो कुछ के लिए नियंत्रण एक विशिष्ट सिद्धान्त है। वैसे हर विभाग, हर वाहन, हर सरकार, यानी हर व्यवस्था में एक नियंत्रण प्रणाली यानी कन्ट्रोल सिस्टम का होना आवश्यक है। अब सिस्टम है तो उसे चलाने के लिए एक अथवा अधिक नियंत्रक भी चाहिए ही। इस तरह से नियंत्रण रोजगार उपलब्ध कराने का महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं।
निमंत्रण की तरह नियंत्रण भी अनेक प्रकार के होते हैं। गोपनीय नियंत्रण, खुला नियंत्रण, पूर्ण नियंत्रण, अर्ध नियंत्रण , आत्म नियंत्रण, आत्मा का नियंत्रण सामाजिक नियंत्रण, समाज को नियंत्रण, कानून व्यवस्था का नियंत्रण, कानून व्यवस्था को नियंत्रण । कुछ चिकित्सक खाज को नियंत्रण कर खजाने को नियंत्रित करते हैं। पुलिस अपराधी को नियंत्रण में कर अपराध को नियंत्रित करने का दावा करती हैं तो कुछ लोग दबी जबान में अपराध के साथ-साथ जेब पर नियंत्रण की बात करते हैं लेकिन वे अज्ञानी लोग कहां समझते हैं कि यदि हीरा बिना कीमत प्राप्त होने लगे तो लोग उसका गुलेल में इस्तेमाल करने लगेंगे। नियंत्रण हीरे की तरह बहुमूल्य है। जैसे हीरे को सोने में जड़ा जाता है, वैसे ही नियंत्रण को भी नोटों से तोलना पड़ता है।
इधर नियंत्रण का काम यंत्रों के हवाले करने वाले स्वयं को आधुनिक घोषित करने लगे हैं लेकिन वे बेचारे कहां समझते हैं कि नियंत्रण तो सदैव से ही नि और ण की निगरानी में कार्यरत ‘यंत्रा’ ही है। यंत्र है तो यदा कदा यंत्रणा भी देगा ही। सही समय पर, सही ढंग से कीमत चुकाने की व्यवस्था कायम कर दी जाये तो नियंत्राण हरसंभव प्रयास करता है कि नियंत्रण में रहते हुए भी आपको नियंत्रण का अहसास न हो। नियंत्रण में रहते हुए भी आप मिनरल वाटर से अपनी प्यास नियंत्रित कर सकते हैं। घर के लजीज खाने से भूख को अनियंत्रित होने से रोक सकते हैं। अनैतिक होते हुए भी आप बिना रोकटोक, बिना जीएसटी, बिना किसी लाइसेंस के नैतिकता नियंत्रक डेरा भी संचालित कर सकते हैं।
नियंत्रण का डीएनए कुछ इस तरह का है कि यह कब आपका समर्थक और कब विरोधी हो जाये, अनुमान लगाना कठिन है। राजनीति को सत्ता पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए समस्याओं पर नियंत्रण के दावे का ढोंग कहा जाता है परंतु अनुभव बताते हैं कि नियंत्रण रेखा की तरह नियंत्रण भी स्वयं में ही एक ढोंग हैं।
इधर नियंत्रण के अनेक नियम कानून है तो कानून पर नियंत्रण के लिए भी अनेक रास्ते हैं। अनेक बार ये रास्ते कानून को भी नियंत्रण में लेकर नियंत्राण होने योग्य को नियंत्रणकर्ता बनाये रखने में अपना ‘बहुमूल्य’ योगदान करते हैं। फिलहाल अपना मानसिक नियंत्रण न खोते हुए मैं नियंत्रण रेखा के दोनों ओर तनाव के बावजूद मैत्री की कामना करता हूं।