सर्दी जुकाम, साइनोसाइटिस, कान में संक्रमण या भारीपन, टांसिल का आक्रमण आदि नाक, कान और गले की वे बीमारियां हैं जो जरा सा मौसम बदलते ही रंग दिखाने लगती हैं। इसके अतिरिक्त मौसम बदलने से या दूसरे प्रकार के संक्रमणों से होने वाली सर्दी जुकाम के कारण भी संक्रमित व्यक्ति के गले, कान और नाक पर असर पड़ सकता है।
आखिर क्यों होता है यह सर्दी जुकाम? दरअसल सर्दी जुकाम एक प्रकार का संक्रमण है जो अति सूक्ष्म जीवाणुओं (वायरस) से होता है। ये जीवाणु वातावरण में हमेशा विद्यमान रहते हैं तथा श्वांस के जरिए शरीर के अंदर पहुंच कर संक्रमण पैदा कर देते हैं।
सर्दी जुकाम के होने पर नाक में सरसराहट होती है और छींकें आने लगती हैं। नाक के भीतर ऊतकों के सूज जाने से नाक अवरूद्ध हो जाती है। प्रारंभ में नाक से पतला पानी बहना शुरू हो जाता है जो दो तीन दिनों में गाढ़ा पीला हो जाता है, साथ-साथ सिरदर्द और बुखार भी हो सकता है।
सर्दी जुकाम होने पर नाक के भीतर की नाजुक श्लेष्मा के ऊतकों में सूजन आ जाती है तथा उनमें रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। ऐसे में नाक जोर से साफ करने पर, नाक के भीतर की रूधिर नलिकाएं फट जाने से कभी-कभी नाक से खून भी आने लगता है।
सर्दी जुकाम होने पर सर्वप्रथम तो शरीर को भरपूर आराम दीजिए। अधिक काम व थकान से बचिए। खट्टे तथा ठंडे खाद्य एवं पेय पदार्थों से बचना चाहिए तथा ठंड से अपना बचाव करना चाहिए। ऐसा करने से सर्दी जुकाम जल्द ठीक हो जाएगा।
सिरदर्द और बदन दर्द के लिए दर्दनिवारक दवाएं लेने से आराम मिलता है। एंटीहिस्टामिन दवाएं लेने से छींकों और नाक से बहने वाले पानी पर काबू पाया जा सकता है। एंटीबायोटिक यानी प्रतिजीवी दवाओं की भी जरूरत पड़ सकती है हालांकि ये दवाएं डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए।
नाक में डालने वाली दवाएं नाक की सूजन को कम करती हैं जिससे नाक व सिर का भारीपन दूर होता है। सूजन कम होने से श्वांस की तकलीफ भी कम होती है तथा श्वांस आसानी से आने लगती है। नाक की सिंकाई से नाक की अंदर की श्लेषमा या झिल्ली में हुई सूजन को कम करने के लिए औषधियुक्त भाप लेने से शीघ्र आराम मिलता है तथा नाक आसानी से खुल जाती है। नाक के चारों ओर हड्डियों में हवा जाने लगती है तथा जल्द ही सिर का भारीपन खत्म हो जाता है।
नाक के संक्रमण से साइनोसाइटिस नामक बीमारी हो सकती है। कान और नाक को जोड़ने वाली नलिका में संक्रमण हो जाने से कान में भारीपन हो सकता है। कान बहना भी शुरू हो सकता है। नाक का संक्रमण नीचे की ओर बढ़ने से इसका प्रतिकूल प्रभाव फेफड़ों पर भी पड़ सकता है। सर्दी जुकाम को सामान्य रोग समझ कर उसके साथ लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और ज्यों ही यह हो, तुरंत इसका उपचार करना चाहिए अन्यथा अन्य गंभीर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।