रमा अपनी बीमारी से बहुत परेशान थी। उसने कई डॉक्टरों को दिखाया। जब तक वह दवा खाती तब तक फायदा रहता। दवा बंद करते ही बीमारी पुनः हो जाती। आखिर वह कब तक दवा खाए? रमा के बाह्य जननांगों में खुजली होती थी। कभी-कभी तो खुजलाते-खुजलाते रक्त स्राव तक होने लगता। डॉक्टरों ने बताया कि उसे क्रोनिक एक्जीमा है। यह कभी ठीक नहीं होगा। रमा निराश हो गई। आज जब कैंसर जैसे रोग का इलाज संभव है, इस रोग का इलाज क्यों नहीं है? तभी उसने एक पत्रिका में पढ़ा कि ऐसी सभी क्रानिक बीमारियां का इलाज संभव है। उसकी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। उसने उपयुक्त डॉक्टर की खोज की। डॉक्टर ने उसके रोगग्रस्त हिस्से को काटकर निकाल दिया और घाव की प्लास्टिक सर्जरी कर दी। रमा हमेशा के लिए ठीक हो गई। देश में लगभग एक प्रतिशत महिलाएं बाह्य जननांगों की क्रानिक बीमारियों से पीड़ित हैं। बाह्य जननांगां को वल्वा नाम से जाना जाता है। तरह-तरह की क्रानिक बीमारियां स्त्रा के बाह्य जननांगों को अपना शिकार बनाती हैं। इनमें लाइकन स्कलेरोसिस, क्रोनिक एक्जीमा तथा वेस्टीवुलाइटिस प्रमुख बीमारियां हैं। प्रायः तीनों बीमारियों को डॉक्टर लाइलाज बता देते हैं। लाइकन स्कलेरोसिस की बीमारी में वल्वा पर सफेद दाग पड़ जाते हैं, खुजली हो सकती है तथा वल्वा सिकुड़ने लगती है। योनिद्वार सिकुड़ कर बंद हो जाता है। इसके इलाज में बीमारी ग्रस्त त्वचा काटकर निकाल दी जाती है और घाव की प्लास्टिक सर्जरी कर दी जाती है। ऐसा ही क्रानिक एक्जीमा में किया जाता है। एक्जीमाग्रस्त त्वचा काट कर निकालने के पश्चात प्लास्टिक सर्जरी करने से इस रोग से हमेशा के लिए निजात मिल जाती है। वेस्टीवुलाइटिस भयंकर रोग है। इसमें कपड़े के स्पर्श मात्रा से भी वल्वा में दर्द होने लगता है। महिला संभोग से कतराने लगती है। पति एवं डॉक्टर दोनों ही महिला को पागल बताने लगते हैं। इस रोग में प्रायः बाह्य लक्षण नगण्य होते हैं पर रोग का इलाज बेहद आसान होता है। वल्वा की त्वचा काट कर प्लास्टिक सर्जरी से नई त्वचा लगाकर रोग का इलाज आसानी से किया जा सकता है। वल्वा की बीमारियों के इलाज के लिए प्लास्टिक सर्जन की सेवाएं बहुत ही आवश्यक हैं।