बजट 2025-26: सीआईआई का ईंधन पर उत्पाद शुल्क घटाने का सुझाव

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नयी दिल्ली, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने वित्त वर्ष 2025-26 के आम बजट के लिए अपने सुझावों में ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने का सुझाव दिया है।

उद्योग निकाय ने कहा कि खपत बढ़ाने के लिए खासकर निम्न आय स्तर पर यह छूट दी जानी चाहिए, क्योंकि ईंधन की कीमतें मुद्रास्फीति को काफी बढ़ाती हैं।

सीआईआई ने कहा कि बजट में 20 लाख रुपये प्रति वर्ष तक की व्यक्तिगत आय के लिए सीमांत कर दरों को कम करने पर भी विचार किया जा सकता है। इससे उपभोग, उच्च वृद्धि और उच्च कर राजस्व के चक्र को गति देने में मदद मिलेगी।

सुझावों में यह भी कहा गया कि व्यक्तियों के लिए उच्चतम सीमांत दर 42.74 प्रतिशत और सामान्य कॉरपोरेट कर दर 25.17 प्रतिशत के बीच का अंतर अधिक है। ऐसे में मुद्रास्फीति ने निम्न और मध्यम आय वालों की क्रय शक्ति को कम कर दिया है।

उद्योग निकाय ने कहा, ‘‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क पेट्रोल के खुदरा मूल्य का लगभग 21 प्रतिशत और डीजल के लिए 18 प्रतिशत है। मई, 2022 से, इन शुल्कों को वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की कमी के अनुरूप समायोजित नहीं किया गया है। ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने से समग्र मुद्रास्फीति को कम करने और खर्च करने योग्य आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि घरेलू खपत भारत की वृद्धि यात्रा के लिए महत्वपूर्ण रही है, लेकिन मुद्रास्फीति के दबाव ने उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कुछ हद तक कम कर दिया है।

उन्होंने कहा कि सरकारी हस्तक्षेप के जरिये खर्च करने योग्य आय को बढ़ाने और आर्थिक गति को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।

सीआईआई ने कम आय वाले समूहों को लक्षित करते हुए उपभोग वाउचर शुरू करने का सुझाव दिया, ताकि तय अवधि में कुछ खास वस्तुओं और सेवाओं की मांग को बढ़ावा दिया जा सके।

वाउचर को विशिष्ट वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च करने के लिए तैयार किया जा सकता है और खर्च सुनिश्चित करने के लिए यह एक तय अवधि (जैसे 6-8 महीने) के लिए वैध हो सकता है।

इसके अलावा सरकार से पीएम-किसान योजना के तहत वार्षिक भुगतान को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये करने का सुझाव भी दिया गया है।

 

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