समाज की बदलती तस्वीर के साथ हर मां-बाप को यह चिंता सताती है कि कहीं उनका बच्चा बिगड़ न जाए। आधुनिक समाज पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव देखते हुए हर अभिभावक अपने बच्चें को मर्यादा व अनुशासन में रहने तथा अत्यधिक सुधार की कोशिश करता है, लेकिन जरा सी असावधानी आपके बच्चे को सुधारने के बजाय बिगड़ने के रास्ते पर न ले जाए, इसलिए बच्चों के साथ उचित समय बितायें और उनका खास ख्याल रखें। यदि आप बच्चों से उनकी उम्र से ज्यादा बड़ी समझदारी की अपेक्षा करते हैं तो आपकी मानसिक परेशानियां बढ़ सकती हैं। अक्सर यह देखने में आता है कि माता-पिता बच्चों से यह उम्मीद रखते हैं कि वे अपने आप समय पर शौच जायें और समय पर हर काम पूरा कर लें। बच्चे अपने आप से अपना खाना भी खा लें। यदि बच्चे स्वयं से ये सारे काम समय पर पूरा नहीं करते हैं तो अभिभावक परेशान हो जाते हैं। दरअसल, ये सारी बातें कोई समस्या नहीं हैं बल्कि बच्चों के स्वाभाविक विकास का ही हिस्सा हैं। कई बार ऐसा होता है कि कभी आप बच्चों से सख्ती से पेश आते हैं तो कभी-कभी उन पर बिलकुल ध्यान न देकर आप स्वयं थोड़े लापरवाह हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे भी बड़ी असमंजस वाली स्थिति में आ जाते हैं कि उनके लिए क्या सही है, उनके मां-बाप को उनसे क्या उम्मीदें हैं। इसके लिए आवश्यक है कि बच्चों के प्रंति अपने व्यवहार को लेकर आप सदैव सतर्क रहें। अक्सर देखा जाता है कि मां- बाप बच्चों की मनमानी पर कोई अंकुश नहीं लगाते। बच्चों के प्रति अत्यधिक लाड़-प्यार में उनकी बुरी आदतें भी उन्हें खराब नहीं लगती है परंतु कुछ मामलों में बच्चों की गलतियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बच्चों के ऊपर कुछ पाबंदियां अवश्य होनी चाहिए थोड़ा प्यार दुलार और थोड़ी कड़ाई दोनों ही होनी चाहिए। घर में कुछ नियम कानून होने चाहिए जिसके अनुसार बच्चों को नियंत्रित किया जा सके। बच्चों से बहस न करेंः- बच्चों की गलतियों को लेकर कभी भी उनसे बहस नहीं करनी चाहिए। झगड़ने या बहस करने से कोई हल नहीं निकल सकता है। इससे बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता है। वे आपको अपने बराबर समझकर बराबरी में बहस करने लग जाते हैं। बच्चे यदि गलतियां करें तो उन्हें डांटें अवश्य परंतु बहस न करें। कई बार गलतियों पर डांटने के बजाय उन्हें प्यार से समझाकर गलतियों के दुष्परिणाम भी उन्हें अवश्य बतायें। नये-नये तरीकों से बच्चों को समझायेंः- बच्चों को सुधारने के लिए एक ही तरीके पर टिके रहने से काम नहीं चलता है। उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए नित्य नये तरीके अपनाने पड़ते हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा बच्चों की पिटाई करने से ही वे अनुशासन में नहीं रहते बल्कि कई बार वे अत्यधिक जिद्दी भी हो जाते हैं। इसलिए थोड़ी पाबंदी, थोड़ा अनुशासन अन्य विकल्पों में कटौती से आपके बच्चे का विकास सुचारू रूप से होगा। बच्चों के साथ प्यार भरा बरताव करने से वे आपके सपनों और जरूरतों के मुताबिक आगे बढ़ते हैं क्योंकि वे भी आपको उतना ही प्यार करते हैं जितना कि आप उनसे करते हैं।