कुछ रोग ऐसे भी हैं जिन पर तेज ठंड का प्रभाव कष्टमय स्थिति पैदा करता है। यदि जरा सी सावधानी बरतें तो ऐसी विपदा से सरलता से दूर रह सकते हैं। अस्थमा :- अस्थमा के रोगी पर तेज ठंड का असर तेजी से पड़ता है। श्वांस नलियों के सिकुड़ने से उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा का दौरा पड़ सकता है या संबंधित वायरल इंफेक्शन बढ़ सकता है। सुबह-शाम एवं कोहरे की स्थिति में ये बाहर न निकलें। पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें। डॉक्टर द्वारा बताए इनहेलर का उपयोग करें। नाक, कान, गला रोगी :- नाक, कान, गले की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति ठंडे पानी से नहाने व पीने से बचें। आइसक्रीम का सेवन न करें। गर्म कपड़े पहनें और शरीर के तापमान को गिरने से बचाएं। गला खराब करने, ठंड बढ़ाने एवं वायरल फैलाने वाली चीजों से बचें। इन्हें जल्द ही सर्दी जुकाम हो सकता है। फ्रिज व मटके के पानी से बचें। सोते समय पंखा न चलाएं। पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें। गर्भवती महिलाएं :- तेज ठंड के समय गर्भवती महिलाएं बाहर की ठंडी हवाओं से बचें। कोहरे में न जाएं। ठंड से बचने के लिए पर्याप्त व उचित उपाय करें। संक्रमण का इन्हें खतरा रहता है। अपने चिकित्सक द्वारा बताई दवा एवं सलाह का अवश्य पालन करें। इनके लिए सावधानी एवं सतर्कता बहुत आवश्यकता है। शिशु रोग :- बच्चों को ठंड के मौसम में बचाकर रखने की आवश्यकता रहती है। इन पर प्रभाव तेजी से पड़ता है। ये संक्रमण, वायरल एवं सर्दी, जुकाम से जल्दी पीड़ित होते हैं। सांस लेने में तकलीफ होती है। इन्हें उचित गर्म कपड़े पहनाएं। लहसुन, अदरक, तुलसी के पत्ते, जायफल केसर, शहद इन्हें अवश्य खिलाएं। जरूरत होने पर डॉक्टर की दवा भी अवश्य खिलाएं। हृदय रोगी :- सभी प्रकार के हृदय रोगियों के लिए ठंड का मौसम सावधानी वाला होता है। सुबह शाम तापमान में गिरावट के समय हृदय की तकलीफ एवं रक्तचाप बढ़ जाता है। रक्त की धमनियां सिकुड़ जाती हैं। खून के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है ंऐसे रोगी ठंड के समय सुबह शाम बाहर न निकलें। हल्का-फुल्का घरेलू काम व व्यायाम करें। पर्याप्त गर्म कपड़े पहनकर बाहर निकलें। कोहरे व धुएं वाले स्थान से बचें।