नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (भाषा) द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता ए राजा ने शनिवार को केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस ने तो देश में आपातकाल लगाकर केवल लोकतंत्र को आघात पहुंचाया, लेकिन इस सरकार ने संविधान की मूल संरचना के सभी तत्वों पर आक्रमण किया है।
राजा ने लोकसभा में ‘संविधान की 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि सत्ता पक्ष कांग्रेस पर संविधान में कई संशोधन करने का आरोप लगाता है, लेकिन उसके समय संविधान की मूल संरचना के साथ तो छेड़छाड़ नहीं की गई।
राजा ने कहा कि 1973 के केशवानंद भारती मामले में उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत को प्रतिपादित किया था, जिसके अनुसार संविधान के छह तत्व हैं-लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, कानून का शासन, समानता, संघीय ढांचा और स्वतंत्र न्यायपालिका।
द्रमुक सदस्य ने कहा, ‘‘आप इन छह तत्वों को छू नहीं सकते।’’
राजा ने कहा, ‘‘जब हम पहले बिंदु लोकतंत्र की बात करते हैं तो वे (सत्तापक्ष के सदस्य) आपातकाल, आपातकाल का शोर मचाते हैं। अपने नेताओं की गिरफ्तारी की बात करते हैं।’’
उन्होंने आपातकाल के समय द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एम करुणानिधि के भी जेल में जाने और पीड़ा झेलने का दावा करते हुए कहा, ‘‘हम भी दर्द जानते हैं, हमें मत सिखाइए।’’
राजा ने कहा, ‘‘हमें कांग्रेस से शिकायत है। जब मैं और कनिमोई (द्रमुक सांसद) जेल में थे तो वे मूकदर्शक बने रहे। लेकिन हम देश और संविधान के लिए विपक्ष में हैं। जब हम जेल में थे तो कांग्रेस सत्ता में थी, हम उसके साथ नहीं थे। आज आप सत्ता में हैं, हम आपके साथ नहीं हैं।’’
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मीसा कानून (आपातकाल के समय) में केवल लोकतंत्र पर हमला हुआ था और उसे पूरी तरह दफन कर दिया गया था, लेकिन आपके शासन में सभी छह तत्वों- लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, कानून का शासन, समानता, संघीय ढांचा और स्वतंत्र न्यायपालिका, सबकुछ चले गए।’’
उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू के सदन में चर्चा के दौरान दिए गए भाषणों का उल्लेख करते हुए कहा कि सत्तापक्ष के नेताओं के संविधान को लेकर दिए बयान आडंबर पूर्ण हैं।
उन्होंने दावा किया कि द्विराष्ट्र का सिद्धांत मोहम्मद अली जिन्ना ने नहीं, बल्कि 1924 में विनायक दामोदर सावरकर ने दिया था।
उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के नेता बाबासाहेब आंबेडकर और सावरकर को एक साथ रखते हैं, यह कैसे हो सकता है?
राजा ने मणिपुर हिंसा, बिल्किस बानो मामले और जंतर मंतर पर महिला पहलवानों के प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘इस देश में कानून का कैसा शासन है?’’