विज्ञान और तकनीक ने मानव को क्या नहीं दिया है ? मतलब यह है विज्ञान और तकनीक ने मानव को बहुत कुछ दिया है। आज एआई चैटबॉट का कंसेप्ट दुनिया में लगातार लोकप्रिय हो रहा है।एआई चैटबॉट्स की खास बातें यह हैं कि ये वास्तविक इंसान की तरह बातचीत कर सकते हैं। ये मानव भाषाओं का यथा उनकी शब्दावली, व्याकरण, कठबोली और संदर्भ में विश्लेषण करने के लिए एडवांस एन.एल.पी.(नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग) का उपयोग करते हैं। वास्तव में ये टेक्स्ट और कॉन्वर्सेशन की महीन से महीन स्टडी कर सकते हैं क्योंकि ये डेटा से प्रशिक्षण लेकर मशीन लर्निंग पर काम करते हैं। प्रशिक्षण के आधार पर ये तुरंत कोई भी रिएक्शन जनरेट कर सकते हैं।
कहना ग़लत नहीं होगा कि चैटजीपीटी जैसे एआई चैटबॉट्स के पास तथ्यों और सूचनाओं का विशाल डेटाबेस उपलब्ध होते हैं जिसका उपयोग वे लगभग किसी भी विषय पर ज्ञानपूर्वक चर्चा करने के लिए कर सकते हैं। आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लगातार आगे बढ़ रही है और एआई चैटबॉट्स एक यूनिक पर्सनालिटी की भांति काम करने लगे हैं। एआई चैटबॉट मनुष्य को किसी रेसिपी में मदद कर सकते हैं, विभिन्न भाषाओं में बातचीत कर सकते हैं, विभिन्न विषयों पर बहस कर सकते हैं, विचारों को विकसित कर सकते हैं, जीवन के विभिन्न पहलुओं, चीजों पर हम एआई चैटबॉट्स की राय ले सकते हैं। कुल मिलाकर यह बात कही जा सकती है कि आज एआई के एडवांस होने के साथ ही साथ एआई चैटबॉट काफी अधिक स्मार्ट हो चुके हैं। संक्षेप में यह बात कही जा सकती है कि आज एआई चैटबॉट्स त्वरित और सटीक जानकारी देने, विभिन्न कार्यों में मनुष्य की सहायता करने, भाषा कौशल(लैंग्वेज स्किल्स) का अभ्यास करने, लेखन में सुधार करने, कोडिंग सिखाने और मनोरंजन करने की क्षमता के कारण लोकप्रिय हो रहे हैं।
सच तो यह है कि आज जीवन की विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए चैटबॉट की ओर लोगों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। यहां तक कि रिश्तों और भावनाओं को निभाने में भी एआई चैटबॉट आज आगे आया है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज मनुष्य रिश्तों और भावनाओं के लिए भी टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गया है। इससे मनुष्य के समक्ष अकेलेपन का खतरा बढ़ा है। लेकिन मनुष्य को आज यह समझने की जरूरत है कि मशीन आखिर मशीन होती है और मशीन में कभी मनुष्य की भांति भावनाएं नहीं हो सकतीं हैं। यह बहुत ही गंभीर और संवेदनशील है कि आज मनुष्य तकनीक और विज्ञान पर इतना अधिक आधारित हो चुका है कि वह चैटबॉट को अपना दोस्त, अपना परिवार, अपना सबकुछ मानने लगा है। वास्तव में यह दर्शाता है कि जनरेटिव एआई आज हमारे निजी व पेशेवर जीवन में लगातार अपनी पैठ बना रहा है।
वास्तव में आज मनुष्य को यह समझने की जरूरत है कि एआई चैटबॉट इंसान नहीं है। यह बहुत चिंताजनक है कि आज मनुष्य, विशेषकर विकसित देशों में, नकली मनुष्य बनाने की कॉर्पोरेट होड़ में लगा हुआ है। यह ठीक है कि आज एआई हमारी दुनिया में क्रान्ति ला रहा है।एआई ने हमारे रोज़मर्रा के कामों और चुनौतियों के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदला है। मनुष्य को एआई के क्षेत्र में और आगे बढ़ने से पहले जरूरत इस बात की है कि वह इस बात को अच्छी तरह से समझे कि मशीनें हमेशा अपने यांत्रिक मस्तिष्क से काम करती हैं जिसे मनुष्य द्वारा प्रोग्राम, डिजाइन किया जाता है। मनुष्य परिस्थिति को समझते हैं और उसके अनुसार प्रतिक्रिया करते हैं जबकि मशीनों में समझने की क्षमता नहीं होती।
सच तो यह है कि मनुष्य में भावनाएँ और संवेदनाएँ होती हैं, और वह अलग-अलग समय पर अलग-अलग भावनाएँ व्यक्त करता है। इसलिए मनुष्य को यह चाहिए कि एआई चैटबॉट्स को वास्तविक इंसान समझने की भूल न करें। यदि मनुष्य मशीन को वास्तविक इंसान समझता है तो यह वास्तव में एक प्रकार से मनुष्य का प्रकृति के साथ हस्तक्षेप ही कहलायेगा क्योंकि मनुष्य, मशीनें बनाता है, मशीनें कभी भी मनुष्य को नहीं बनातीं हैं।