मुंबई, 17 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित विभिन्न नेताओं ने रविवार को शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे को उनकी 12वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं महान बालासाहेब ठाकरे जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वे महाराष्ट्र के विकास और मराठी लोगों के सशक्तीकरण का समर्थन करने वाले एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। वे भारतीय संस्कृति और लोकाचार के गौरव को बढ़ाने में दृढ़ विश्वास रखते थे। उनकी निर्भीक आवाज़ और अटूट भावना पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।’’
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘बालासाहेब ठाकरे जी को उनकी 12वीं पुण्यतिथि पर याद कर रहा हूं। मेरी संवेदनाएं उद्धव ठाकरे जी, आदित्य और पूरे शिवसेना परिवार के साथ हैं।’’
शिवसेना संस्थापक को श्रद्धांजलि देने वाले नेताओं में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार, कांग्रेस की मुंबई इकाई की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ और शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे शामिल हैं।
पवार ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘शिवसेना के संस्थापक, व्यंग्यकार और राजनेता स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे को नमन, जिन्होंने मराठी लोगों के साथ अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी।’’
गायकवाड़ ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने मराठी दिलों पर राज किया और जीवन भर मराठी लोगों के न्याय एवं अधिकारों के लिए लड़ते रहे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता फडणवीस ने अपने संदेश में कहा, ‘‘हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे को उनके स्मृति दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि।’’
इससे पहले शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे ने मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित बाल ठाकरे की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की।
शिवसेना के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों के कई सदस्यों ने भी बाल ठाकरे को उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
शिवसेना के संस्थापक का लंबी बीमारी के बाद 17 नवंबर 2012 को मुंबई स्थित उनके आवास ‘मातोश्री’ में निधन हो गया था।
शिवसेना में 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह हुआ था जिसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई।
इसके बाद शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।
बाद में, निर्वाचन आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘असली’ शिवसेना के रूप में मान्यता दी।
हालांकि, दोनों गुट बाल ठाकरे की विरासत पर दावा करते हुए संघर्ष कर रहे हैं। ठाकरे ने हिंदुत्व के साथ-साथ आक्रामक भूमिपुत्र नीति का समर्थन किया था।