झारखंड इकाई में हरियाणा जैसी गुटबाजी नहीं, ‘इंडिया’ के पक्ष में है लहर: कांग्रेस महासचिव मीर
Focus News 12 November 2024नयी दिल्ली/रांची, कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मजबूत प्रदर्शन का विश्वास जताते हुए मंगलवार को कहा कि हरियाणा के विपरीत झारखंड इकाई में कोई गुटबाजी नहीं है और चुनाव से पहले सभी निर्णय वरिष्ठ नेताओं के बीच आम सहमति से लिए गए।
उन्होंने कहा कि हरियाणा की किसी अन्य राज्य से तुलना नहीं हो सकती। उन्होंने वहां चुनाव प्रक्रिया पर कांग्रेस द्वारा निर्वाचन आयोग में दर्ज कराई गई शिकायतों की ओर भी इशारा किया।
कांग्रेस महासचिव ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में यह भी दावा किया कि झारखंड की ‘इंडिया’ गठबंधन सरकार के पक्ष में एक ‘‘सत्ता समर्थक लहर’’ है जो हेमंत सोरेन के नेतृत्व में आगे बढ़ रही है, जबकि भाजपा के पास कोई दमदार आवाज नहीं है और राज्य का नेतृत्व करने के लिए किसी को भी आगे नहीं किया गया।
मीर ने भरोसा जताया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) लिबरेशन गठबंधन पिछले चुनावों से बेहतर प्रदर्शन करेगा और 81 सदस्यीय विधानसभा में 50 सीटों के आंकड़े को पार कर सकता है।
झारखंड में 2019 के विधानसभा चुनावों में झामुमो ने 30 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस ने 16 और राजद ने एक सीट पर जीत हासिल की थी। भाकपा (माले) ने गठबंधन से अलग चुनाव लड़ा था, उसे सिर्फ एक सीट मिली थी।
कांग्रेस महासचिव ने प्रधानमंत्री पर उनकी ‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे’ टिप्पणी के लिए भी निशाना साधा और कहा ‘‘किसी ने नहीं सोचा होगा कि प्रधानमंत्री इस स्तर की बात करेंगे।’’
मीर ने कहा, ‘‘उनके बीच भी विवाद है, (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ कहते हैं ‘बंटोगे तो कटोगे’, प्रधानमंत्री कहते हैं ‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे’, पहले उन्हें यह तय करना चाहिए कि वे किसके नारे के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या हरियाणा में मिली हार का झारखंड चुनावों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, कांग्रेस नेता ने कहा कि हरियाणा की राजनीति अलग है जिसकी तुलना देश के किसी अन्य राज्य से नहीं की जा सकती।
मीर ने कहा, ‘‘हरियाणा में पार्टी के भीतर विभिन्न गुट मौजूद थे और वहां गुटबाजी का प्रभाव था, इसलिए उम्मीदवारों के चयन पर आम सहमति नहीं बन सकी और निर्वाचन आयोग पर भी उंगलियां उठीं…लेकिन झारखंड में कांग्रेस के भीतर कोई गुटबाजी नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि चुनाव अभियान की प्रक्रिया ब्लॉक, जिला से लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी स्तर तक, सर्वसम्मति पर आधारित थी। उन्होंने कहा, ‘‘सभी निर्णयों में हम वरिष्ठ नेताओं की सर्वसम्मति से आगे बढ़े। इसलिए आपने झारखंड में यह नहीं सुना होगा कि ‘उनके लोगों को ज्यादा (टिकट) मिला, हमारे लोगों को कम’…यहां नेताओं के उम्मीदवार नहीं हैं, बल्कि केवल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। यह पहला अंतर है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वहां (हरियाणा) हम विपक्ष में थे और यहां हम पांच साल से गठबंधन सरकार में हैं। गठबंधन ने योजनाएं लागू कीं और इसका असर जमीन पर दिख रहा है, जिसे लोगों की प्रतिक्रिया में देखा जा सकता है।’’
पिछले महीने हरियाणा में हुए चुनावों में भाजपा ने 48 सीटें जीतकर कांग्रेस की वापसी के सपने को ध्वस्त कर दिया और कई ‘एग्जिट पोल’ को गलत साबित कर दिया, जिसमें कांग्रेस की आसान जीत का अनुमान लगाया गया था। कांग्रेस 90 सदस्यीय विधानसभा में 37 सीटें जीतने में सफल रही।
मीर ने कहा कि सरकारें आमतौर पर सत्ता विरोधी लहर का सामना करती हैं, लेकिन झारखंड में सत्ता समर्थक लहर है। उन्होंने कहा कि एक तरफ हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन आगे बढ़ रहा है और दूसरी तरफ कोई नेतृत्व नहीं है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने (भाजपा ने) किसी को आगे नहीं किया है, उन्हें अपने नेताओं पर भरोसा नहीं है। उन्होंने किसी ऐसे व्यक्ति को आगे नहीं किया है जो पांच साल तक झारखंड का नेतृत्व करेगा। हमारे पास प्रगतिशील एजेंडा और गारंटी है, जबकि भाजपा के पास जुमले हैं।’’
झारखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने और आदिवासियों को इसके दायरे से बाहर रखने के भाजपा के वादे पर कांग्रेस नेता ने इसे ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया।
मीर ने कहा, ‘‘इतने सारे राज्यों में जहां उन्होंने समान नागरिक संहिता की बात की थी, क्या उन्होंने इसे वहां लागू किया है? हिमंत विश्व शर्मा ने असम में इसके बारे में बात की थी, क्या उन्होंने इसे वहां लागू किया है? अगर उनकी ऐसी इच्छा है तो वे यहां की संस्कृति पर हमला कर रहे हैं। वे यहां की आदिवासी संस्कृति पर हमला करना चाहते हैं और आदिवासी इसे समझते हैं।’’
उन्होंने भाजपा पर केवल ध्रुवीकरण पर काम करने और कोई प्रगतिशील योजना न बनाने का आरोप लगाया। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा घुसपैठ का मुद्दा उठाए जाने पर मीर ने कहा कि देश ने भाजपा को 10 साल के लिए जिम्मेदारी दी थी और घुसपैठ को रोकना, सीमा को सुरक्षित रखना और लोगों की सुरक्षा करना उनका काम है।
मीर ने कहा कि यह सब कहकर वह (शाह) यह स्वीकार कर रहे हैं कि वह एक असफल शासक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मतदान के बाद वे कहेंगे कि ये सब जुमले हैं। वे लोगों के मुद्दों को लेकर कभी गंभीर नहीं होते।’’
उन्होंने झारखंड में सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन में दरार की बात को भी खारिज करते हुए कहा कि कोई मुद्दा नहीं है और सब कुछ सौहार्दपूर्ण ढंग से तय हो गया है। मीर ने कहा, ‘‘गठबंधन एकजुट है, गठबंधन सहयोगियों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है और सभी एक-दूसरे के लिए प्रचार कर रहे हैं।’’
‘इंडिया’ गठबंधन में सीट बंटवारे के अनुसार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला झामुमो 43 सीटों पर लड़ रहा है, जबकि कांग्रेस ने 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। राजद छह सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, और भाकपा (माले) ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। कुछ सीटें ऐसी हैं जिन पर गठबंधन सहयोगियों के बीच दोस्ताना मुकाबला हो सकता है।
झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 23 नवंबर को होगी।