नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता सेनानी और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री हरेकृष्ण महताब की सराहना की और कहा कि वह एक प्रेरणादायक नेता थे जिनकी विरासत भविष्य में लोगों को प्रेरित करती रहेगी।
महताब की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में उनकी साहित्यिक कृतियों का भी जिक्र किया, जिसे उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम संघर्ष के समय जेल में रहने के दौरान लिखा था।
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्य में ‘उत्कल केशरी’ के नाम से लोकप्रिय महताब को महात्मा गांधी के आह्वान पर शुरू किए गए नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण जेल भेजा गया था।
मुर्मू ने कहा कि 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें फिर से अन्य राष्ट्रवादी नेताओं के साथ जेल में डाल दिया गया। उन्होंने बताया कि अहमदनगर किला जेल में उन्होंने लंबा समय बिताया। इस दौरान महताब और अन्य नेताओं ने ‘‘जेल को एक शिक्षण केंद्र में बदल दिया।’’
उन्होंने कहा कि जेल में रहने के दौरान उन्होंने कई कविताएं, कहानियां और उपन्यास तथा ‘उड़ीसा इतिहास’ नामक पुस्तक भी लिखी।
राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी विरासत और साहित्यिक तथा पत्रकारिता संबंधी कार्य लोगों को प्रेरित करते रहेंगे। इस अवसर पर एक विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया गया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
प्रधान ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि ओडिशा सरकार ने महताब की 125वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में वर्ष भर समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया है।
21 नवंबर 1899 को तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी के अगरपारा में जन्मे महताब एक बहुमुखी नेता थे, जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, लेखक, समाज सुधारक और पत्रकार के रूप में कई जिम्मेदारियां निभाईं।
कटक से सांसद और हरेकृष्ण महताब के पुत्र भर्तृहरि महताब भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।