तेल क्षेत्र संशोधन विधेयक नीतिगत स्तर पर स्थिरता लाएगा: पेट्रोलियम मंत्री पुरी

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ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश), पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा कि तेल एवं गैस खोज और उत्पादन से जुड़े मौजूदा कानून में संशोधन के लिए लाया गया विधेयक नीतियों के स्तर पर निवेशकों में भरोसा पैदा करने के साथ कारोबार सुगमता को बढ़ाएगा।

पुरी ने ग्रेटर नोएडा में ‘जियो इंडिया 2024’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के सुधार एजेंडा में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की खोज तथा उत्पादन को और आसान बनाना है।

उन्होंने बिना किसी हस्तक्षेप वाली मुक्त संचालन व्यवस्था का वादा किया।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपके पास निजी क्षेत्र की कंपनी है जो परिवार के स्वामित्व वाली है, तो उसमें आपको अभी भी हस्तक्षेप का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि आपके पास हमारी पेट्रोलियम कंपनियों की तरह बेहतर तरीके से संचालित सार्वजनिक तेल कंपनियां हैं और आपके पास मेरे जैसा मंत्री है, तो आपको कोई हस्तक्षेप नहीं मिलेगा। मैंने इसे बार-बार कहा है।’’

तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 अगस्त में राज्यसभा में पेश किया गया था और इस महीने शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इसे मंजूरी मिलने की संभावना है।

मंत्री ने कहा, ‘‘इस विधेयक का उद्देश्य तेल और गैस उत्पादकों के लिए नीतिगत मामले में स्थिरता सुनिश्चित करना और तेल तथा गैस उत्पादन क्षेत्रों पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की अनुमति देना तथा पट्टे की अवधि का विस्तार करना है।’’

इसका उद्देश्य 1948 के कानून के कुछ प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटाकर उसकी जगह जुर्माना समेत अन्य अनुकूल व्यवस्था करना है।

देश वर्तमान में अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का 85 प्रतिशत से अधिक और प्राकृतिक गैस की लगभग आधी जरूरतों का आयात करता है।

पुरी ने कहा, ‘‘हमारे पास 65.18 करोड़ टन प्राप्त करने योग्य कच्चे तेल और 1,138.6 अरब घन मीटर प्राप्त करने लायक प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार है। इस भंडार को देखते हुए भारत को खोज और उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि पूर्व में खोज और उत्पादन पर ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन स्थिति अब पलट गयी है। मिसाइल परीक्षण स्थलों के पास के क्षेत्र को पहले वर्जित क्षेत्र में रखा गया था लेकिन अब इन क्षेत्रों में तेल और गैस खोजने की अनुमति दी जा रही है।

पुरी ने कहा कि हाल ही में संपन्न बोली दौर में रिकॉर्ड 1.36 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की पेशकश की गई। इसमें से 38 प्रतिशत पूर्व में वर्जित क्षेत्र की श्रेणी में था।

उन्होंने हाल के महीनों में किए गए सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय खोज और उत्पादन (ईएंडपी) क्षेत्र में कामकाज सुगम हुआ है। ‘‘हमने अनुमोदन की आवश्यकता वाली 37 प्रक्रियाओं को सरल बनाया है और उन्हें घटाकर 18 कर दिया है। इनमें से नौ को स्व-प्रमाणन के अंतर्गत रखा गया है।’’